मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी रणनीति बना ली है. इसी कड़ी में एक मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज है. बता दें कि आगामी चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियां प्रमुख मुद्दा बन गई हैं. मुफ्त की रेवड़ी से मतलब है फ्रीबी और लुभावनी योजनाएं यानी सरकार की तरफ से दी जाने वाली मुफ्त की स्कीम. इसी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच होड़ लगी है कि कौन कितनी रेवड़ी बांट सकता है.
सरकारी खज़ाना खाली और बढ़ता बोझ
बीजेपी की दलील है कि गरीबों के जीवन स्तर को सुधारना सरकार का काम है. वहीं कांग्रेस कह रही है कि सरकार बनने पर गरीबों की हालत बदलना उसकी जिम्मेदारी है. लेकिन इन सबके बीच एक हकीकत यह भी है कि सरकारी खज़ाना खाली हो रहा है और राज्य पर कर्ज का बोझ हर दिन बढ़ रहा है. आइए आपको बीजेपी और कांग्रेस की कुछ फ्रीबी योजनाओं के बारे में बताते हैं:
जनता से और कितने वादे?
नारी सम्मान में कांग्रेस के 1500 रुपए के वादे के जवाब में बीजेपी 'लाडली बहना' को 1250 रुपए देने लगी. अब इसे हर महीने 3000 तक ले जाने का वादा किया गया है. कांग्रेस के गैस सिलेंडर 500 रुपए में देने के वादे पर बीजेपी ने सावन में गैस सिलेंडर 450 रुपए में देने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस के बिजली बिल में 100 यूनिट माफ के वादे के जवाब में बीजेपी ने 200 यूनिट माफ कर बिजली 100 रुपए महीने देने का वादा कर दिया. अब बीजेपी ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए देने का वादा कर दिया है.
CM का राज्य की बहनों से वादा
शिवराज सिंह चौहान ने रक्षाबंधन पर भी बहनों से वादा किया और कहा कि '1000 रुपए महीना मिल रहा है, राखी का त्योहार आने वाला है तो सुनो मेरी बहनों, उसका इंतजाम भी करूंगा आज अभी इसी क्षण सिंगल क्लिक से राखी के लिए 250 रुपए अभी डालने का काम कर रहा हूं. आपके बैंक अकाउंट मेरे पास हैं, राखी के कच्चे धागे की कसम खाकर कहता हूं.'
कांग्रेस ने भी किए वादे
कांग्रेस-बीजेपी दोनों ढेर सारे वादे कर रहे हैं. जैसे मुख्यमंत्री ने कहा- लाडली बहना में राशि धीरे-धीरे 3000 रुपए प्रति माह तक बढ़ा दी जाएगी. यानी सवा करोड़ हितग्राहियों के लिए 3,750 करोड़ रुपए हर महीने, जिसका मतलब सालाना 45,000 करोड़ रुपए हो जाता है. आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना हैं कि किसी भी राज्य का लगातार कर्ज के जाल में उलझते जाना संघीय ढांचे की सेहत के लिए ठीक नहीं है.
ऐसे में कुल मिलाकर यह भी कहना गलत नहीं होगा कि सरकार का सिर्फ खर्च बढ़ रहा है, कमाई नही. लेकिन घोषणाओं की बाढ़ दो-तरफा है. इन्हीं सब के बीच आइए जान लेते हैं कि मध्यप्रदेश पर कुल कितना कर्ज है.
प्रदेश पर कितना कर्ज?
- मध्यप्रदेश सरकार पर फिलहाल 3.69 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ है
- हर महीने राज्य का खर्च औसतन 25,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है
- यह हालत तब है जब 2005 में ऋण-जीएसडीपी अनुपात 39.5% था
- 2022 में ऋण-जीएसडीपी अनुपात 29 प्रतिशत हो गया
प्रदेश में रेवड़ी को लेकर हो रही बहस
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