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Madhya Pradesh Hindi News: एमपी के नर्मदापुरम (Narmadapuram) के पिपरिया में माहेश्वरी महिला परिषद (Maheshwari Mahila Parishad) ने साड़ी वॉकथॉन थीम को लेकर रैली निकाली. संस्कृति की पहचान साड़ी की महत्त्वता का संदेश देते हुए जागरूक किया. माहेश्वरी महिला परिषद ने महेश नवमी के अवसर पर अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन के आव्हान पर अपनी संस्कृति साड़ी प्रथा को बनाये रखने के लिये मोहता प्लाट शिवमंदिर से महिलाओं द्वारा पीले वस्त्र, लाल दुपट्टा डाल, हाथ में मोली और सिर पर बिंदी लगाकर महेश वंदना के साथ ढोल बाजे की धुन में रैली निकाली गई.
आस-पास की पॉजिटिव एनर्जी मिलना शुरु हो जाती है
![ढोल बाजे की धुन में रैली निकाली गई. ढोल बाजे की धुन में रैली निकाली गई.](https://c.ndtvimg.com/2024-06/64a3ftg8_narmadapuram-news_625x300_08_June_24.jpeg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=632,height=421)
ढोल बाजे की धुन में रैली निकाली गई.
कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएमओ डॉ.ऋचा कटकवार द्वारा की गई. रैली सीमेंट रोड,शोभापुर रोडतिराहा,मंगलवारा बाजार,सुभाष चौक,किराना बाजार,स्टेशन रोड,पुराना गल्लाबाजार होते हुए हनुमान मंदिर पहुंची. हनुमान मंदिर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ.ऋचा कटकवार ने साड़ी के महत्व को बताते हुए कहा कि जिस प्रकार महिलाएं साड़ी पहनना शुरू करती हैं, चारो और गोलाकार गति से पहना जाता है. यह लगभग अंत तक चक्कर लगता रहता है, इसलिये यह समझना आसान है कि जब कोई ऊर्जा साड़ी को छूती है, तो वह शरीर के चारो और चक्कर लगाती है, जिससे ऊर्जा के साथ सही तरीके से शरीर को आगे बढ़ाने में रेपिंग घुमाते हुए पहनती है, जिससे आस-पास की पॉजिटिव एनर्जी मिलना शुरू हो जाती है.
साड़ी के पहनावे को पश्चिमी देशों की महिलाएं अपना रहीं..
![साड़ी की महत्त्वता का संदेश देते हुए जागरूक किया है. साड़ी की महत्त्वता का संदेश देते हुए जागरूक किया है.](https://c.ndtvimg.com/2024-06/g7inltp_narmadapuram-_625x300_08_June_24.jpeg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=632,height=421)
साड़ी की महत्त्वता का संदेश देते हुए जागरूक किया है.
वहीं, आपने लड़कियों की शादी के दौरान साड़ी उपहार में देने का महत्व बताया. कहा कि इस समय ऐसा प्रतीत होने लगता है कि लड़की बड़ी हो गई है, जीवन की जिम्मेदारी आ गई है, लड़की का नारी में परिवर्तन हो रहा है. इस अवसर पर महिला परिषद की महिलाओं ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति में साड़ी पहनने का जो महत्व था, वह पश्चिमी देशों की महिलाएं अपना रही हैं, वह साड़ी. पहनने के साथ मांग में सिंदूर भी भरती हैं. महिलाएं साड़ी पहनती हैं, तो उनके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है. यह पारंपरिक पोशाक उनकी सभी इंद्रियों को स्वस्थ रखती है. महिला संगठन की प्रदेश सचिव राजश्री राठी ने कहा कि साड़ी पहनने से नारी बहुत सुंदर लगती है,
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ममत्व का मिलता है स्पर्श
![पारंपरिक पोशाक उनकी सभी इंद्रियों को स्वस्थ रखती हैं. पारंपरिक पोशाक उनकी सभी इंद्रियों को स्वस्थ रखती हैं.](https://c.ndtvimg.com/2024-06/mqp26jn_saree_625x300_08_June_24.jpeg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=632,height=421)
पारंपरिक पोशाक उनकी सभी इंद्रियों को स्वस्थ रखती हैं.
मां के पल्लू का बड़ा महत्व है, बच्चों को उससे ममत्व का स्पर्श मिलता है. वहीं, नकारात्मक ऊर्जा से बच्चों व नारी को बचाती है. तीज त्योहारो पर अलग-अलग प्रकार की साड़ियां पहनकर त्योहार का महत्व बढ़ाती हैं, जैसे श्रावण मास पर लहरिया पहनने मात्र से ही मन मस्तिष्क में उत्साह भर जाता है. भाई शादी में भात भरने आता है, तो चुनरी लाता है, उसका भी जीवन में बहुत महत्व है.
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