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Jabalpur News : प्रतिबंध के बाद भी किया लिंग परीक्षण, कोर्ट ने सोनोग्राफी सेंटर चलाने वाले को सुनाई सजा

डॉक्टर पीसी मिनोचा के खिलाफ साल 2017 में शिकायत प्राप्त हुई थी. 13 फरवरी 2017 को जांच दल ने सोनोग्राफी सेंटर का निरीक्षण किया था. प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने आरोपी पीसी मिनोचा को दोषी पाते हुए 2 साल के कारावास और 4 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.

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Jabalpur News : प्रतिबंध के बाद भी किया लिंग परीक्षण, कोर्ट ने सोनोग्राफी सेंटर चलाने वाले को सुनाई सजा
जबलपुर:

Madhya Pradesh News : गर्भ में पल रहे बच्चे की लिंग जांच (Gender Test) करना कानूनन अपराध (Sex Determination in India is Illegal) है. बावजूद इसके अनेक सोनोग्राफी सेंटर्स (Sonography Centres) पर यह काम चोरी छिपे चल रहा है. ऐसे ही एक मामले में जिला अदालत (District Court Jabalpur) ने जबलपुर के मिनोचा सोनोग्राफी सेंटर के संचालक पीसी मिनोचा को दो साल की सजा सुनाई है. सजा के साथ ही उस पर 4 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.

कैसे शुरु हुई जांच?

अदालत में लोक अभियोजक (Public Prosecutor) भारती उइके ने बताया कि डॉक्टर मिनोचा ने भ्रूण के लिंग परीक्षण को निषेध करने वाले कानून का उल्लंघन किया था. इसकी शिकायत पर सीएमएचओ (CMHO) के साथ-साथ लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग ने निरीक्षण दल का गठन किया था. जांच दल ने सोनोग्राफी सेंटर का निरीक्षण किया जहां सभी रिकॉर्ड और मशीनों का निरीक्षण करने पर यह बात साबित हुई कि उस सेंटर पर गर्भवती महिलाओं के भ्रूण की लिंग जांच की जाती रही है. 

2017 का है मामला

डॉक्टर पीसी मिनोचा के खिलाफ साल 2017 में शिकायत प्राप्त हुई थी. 13 फरवरी 2017 को जांच दल ने सोनोग्राफी सेंटर का निरीक्षण किया था. प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने आरोपी पीसी मिनोचा को दोषी पाते हुए 2 साल के कारावास और 4 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.


क्या है PCPNDT अधिनियम?

पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद का एक कानून है. इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘PNDT' एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले कपल या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को पांच साल तक की सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

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