
Madhya Pradesh news: बीना (Bina) से कांग्रेस (Congress) के टिकट पर 2023 विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) जीतने वाली विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता पर संकट गहराता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की ओर से दायर याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की प्रधान पीठ (जबलपुर) ने रजिस्ट्री को प्रकरण की जांच कर सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को तय की है.
यह है मामला?
उमंग सिंघार ने अपनी याचिका में कहा है कि निर्मला सप्रे ने कांग्रेस से निर्वाचित होने के बावजूद पार्टी छोड़कर भाजपा का खुलकर समर्थन किया है. लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सप्रे पर भाजपा का मंच साझा करने, भाजपा का दुपट्टा पहनकर प्रचार करने और कांग्रेस के खिलाफ बयान देने के आरोप हैं. हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने न तो कांग्रेस से औपचारिक इस्तीफा दिया और न ही विधानसभा सदस्यता छोड़ी. याचिका में मांग की गई है कि यह आचरण दल बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) का उल्लंघन है. इसलिए उनकी सदस्यता शून्य घोषित की जाए.
कांग्रेस की आपत्ति
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पहले विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन दिया था और सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी. पार्टी का आरोप है कि 90 दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अध्यक्ष ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसी कारण मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा.
अदालत की स्थिति
इंदौर खंडपीठ में दायर याचिका को क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया गया था. इसके बाद यह प्रकरण जबलपुर स्थित प्रधान पीठ में दायर किया गया. अब CJ की बेंच ने रजिस्ट्री को जांच कर लिस्टिंग करने के निर्देश दिए हैं और सुनवाई की तारीख 8 अक्टूबर तय की है.
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राजनीतिक महत्व
निर्मला सप्रे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव के दौरान उनके भाजपा के मंचों पर दिखने से राजनीतिक हलकों में बड़ा विवाद खड़ा हुआ था. कांग्रेस इसे खुला दलबदल मान रही है, जबकि भाजपा इसे “विचारधारा के समर्थन” की संज्ञा देती रही है. अब फैसला अदालत पर निर्भर करेगा कि यह दलबदल है या नहीं.
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