MP High Court Action Against PWD Engineer: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के न्यायमूर्ति जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने निजी भूमि से सड़क निकालने के रवैये को आड़े हाथों लिया है. पीडब्ल्यूडी, रीवा संभाग के कार्यपालन यंत्री (PWD Engineer) को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट (MP High Court) ने हर्जाना और जुर्माना दोनों लगा दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक निजी भूमि से सड़क हटाई नहीं जाती, प्रतिदिन 15 हजार रुपये के हिसाब से हर्जाना राशि कार्यपालन यंत्री को अपने वेतन से अदा करनी होगी. जबकि, जुर्माना राशि 25 हजार अलग से जमा करानी होगी.
हाईकोर्ट ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्य सचिव को इस बारे में जानकारी देनी होगी कि हर्जाना व जुर्माना राशि वेतन से कटौती कर जमा कराई गई है या नहीं. इस मामले में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को कार्यपालन यंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई के दिशा-निर्देश दिए हैं. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि स्टे के बावजूद किसी की निजी भूमि से सड़क कैसे निकाल दी गई? कोर्ट ने कार्यपालन यंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न कोर्ट के स्टे की अवहेलना पर अवमानना का मामला चलाया जाए?
स्टे होने के बावजूद बनी सड़क
याचिकाकर्ता मऊगंज निवासी भास्कर दत्त द्विवेदी की ओर से पक्ष रखा गया. दलील दी गई कि कुल बहेरिया ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना के तहत सड़क निर्माण चल रहा है. इस प्रक्रिया में याचिकाकर्ता की निजी भूमि से सड़क निकालने की गलती की गई है. याचिकाकर्ता ने कई बार इस बारे में प्रतिवेदन दिया और कोर्ट से स्टे आर्डर भी लिया. इसके बावजूद विभाग ने जबरदस्ती उसकी निजी भूमि पर सड़क निकाल दी.
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