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MP High Court: कोर्ट की अवमानना को लेकर सख्त हाईकोर्ट, बयान से पलटने पर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता पर होगी कार्रवाई

MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़ित और उसके माता-पिता के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. पीड़ित के बयान से पलटने के बाद कोर्ट ने यह बड़ी कार्रवाई की है.

MP High Court: कोर्ट की अवमानना को लेकर सख्त हाईकोर्ट, बयान से पलटने पर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता पर होगी कार्रवाई
फाइल फोटो

Action Against Rape Victim on Retracting Statement: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग (Minor Rape Victim) और उसके माता-पिता के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई (Criminal Contempt Action) करने के आदेश दिए हैं. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ (Chief Justice Ravi Malimath) और जस्टिस विशाल मिश्रा (Justice Vishal Mishra) की युगलपीठ ने कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल, दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) से गर्भपात कराने की अनुमति मिली थी. जिसके लिए हाईकोर्ट ने एक शर्त रखी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि नाबालिग का गर्भपात कराने के बाद वह ट्रायल शुरू होने पर अपने बलात्कार के बयान से नहीं मुकरेगी. इसके लिए हलफनामा भी पेश करने को कहा गया था.

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल कोर्ट की सुनवाई के दौरान दुष्कर्म पीड़िता और उसके माता-पिता पूर्व में दिए गए बयान से पलट गए. इसके अलावा आरोपी युवक की डीएनए रिपोर्ट भी नेगेटिव पाई गई. बयान से पलटने के बाद हाईकोर्ट ने इसे अवमानना मानते हुए तीनों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए सागर पुलिस अधीक्षक द्वारा एक नोटिस भी जारी किया गया था.

गर्भपात की अनुमति ली थी कोर्ट से

बता दें कि नाबालिग बलात्कार पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी मां एक व्यक्ति के यहां घरेलू काम करती थी. उसी घर में आरोपी कपिल लोधी कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करता था. इस दौरान दोनों में दोस्ती हो गई. आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए. आरोपी ने खुरई ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी. 

नाबालिग ने 23 अक्टूबर 2023 में आरोपी के खिलाफ सागर जिले के कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस ने पॉक्सो, बलात्कार सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था. याचिका में कहा गया था कि उसके गर्भ में लगभग 9 सप्ताह का भ्रूण है. एकलपीठ ने नाबालिग पीड़िता को सशर्त गर्भपात की अनुमति देते करते हुए अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता विवेचना अधिकारी के सामने भी हलफनामा पेश करें कि वह ट्रायल के दौरान अपने आरोपों से नहीं मुकरेंगे.

झूठ पाए जाने पर हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

आरोपी युवक के द्वारा जमानत आवेदन की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पाया कि पीड़िता ट्रायल कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि दुश्मनी के चलते उसने आरोपी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. आरोपी ने उसके साथ बलात्कार नहीं किया है. भ्रूण के डीएनए रिपोर्ट में भी आरोपी युवक उसका बायोलॉजिकल पिता नहीं पाया गया. एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीड़िता सहित उसके माता-पिता के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलाए जाने के निर्देश दिए हैं. 

कोर्ट ने सागर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से नाबालिग और उसके परिजनों के खिलाफ नोटिस जारी किए थे. जिसके बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ अपराधिक अवमानना की सुनवाई करते हुए आदेश जारी किए.

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