Madhya Pradesh's Harda firecracker factory blast News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 150 किलोमीटर दूर हरदा शहर के बाहरी इलाके बैरागढ़ में स्थित पटाखा कारखाने में मंगलवार को विस्फोट और भयानक आग लगने की घटना (Harda Fireworks Factory Blasts) में मौत का आंकड़ा बढ़कर 12 हो गया है. जबकि 200 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पटाखा कारखाने में विस्फोट के बाद मौके पर कई शव पड़े हुए थे, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं. इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (Madhya Pradesh Congress Committee President) जीतू पटवारी (Jitu Patwari) सरकार पर हमलावर है. वे हर दिन इस मामले में सरकार को घेर रहे हैं. गुरुवार सुबह उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि ऐसे हादसे नए नहीं हैं. लेकिन सरकार कोई सबक लेना नहीं चाहती. इसलिए ये बार-बार यह सामने आते हैं, निर्दोष नागरिकों की जान लेते हैं, फिर नई जगह, नए रूप में सामने आते हैं. इसके अलावा उन्होंने विभिन्न घटनाओं का उल्लेख भी अपनी पोस्ट में किया है. आइए जानते हैं उन्होंने इस बारे में क्या कुछ लिखा है.
हरदा हादसे में दोषियों को बचाने के बजाएँ सरकार ज़िम्मेदारों पर कठोर कार्यवाही करें।
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) February 7, 2024
साथ ही मृतक लोगों के परिजनों को 1-1 करोड़, घायलों को 10-10 लाख और लापता लोगों के परिजनों को 1 करोड़ का तत्काल मुआवजा दिया जाएँ।#HardaBlast pic.twitter.com/cREFFU6fcp
पीसीसी चीफ ने इन हादसों को गिनाया...
एमपी पीसीसी चीफ (MP PCC Chief) जीतू पटवारी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) और भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश (BJP MP) को टैग करते हुए लिखा है कि हरदा ब्लास्ट ने पुख्ता तौर पर प्रमाणित कर दिया कि मध्यप्रदेश में सिस्टम सिर्फ दिखावे का है.
इन घटनाओं का किया जिक्र, सीएम मोहन यादव से पूछा सवाल
जीतू पटवारी ने आगे लिखा कि माेहन यादव जी, 31 अक्टूबर 2023 को दमोह की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था. इसमें पांच लोगों की मौत हुई थी और आठ लोग घायल हुए थे. यह अवैध फैक्ट्री भी रहवासी इलाके में चल रही थी. BJP सरकार ने क्या किया? 20 अक्टूबर 2022 को मुरैना स्थित एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ था. इस हादसे में चार लोगों की मौत और सात लोग घायल हुए थे. इस हादसे में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हुई थी. ब्लास्ट में पूरा घर जमींदोज हो गया था. BJP सरकार ने क्या किया?
25 अक्टूबर 2019 को ग्वालियर के एक गांव में अवैध रूप से रखे विस्फोटक में ब्लास्ट हुआ था. इसमें तीन की मौत और 5 लोग घायल हुए थे। जांच में यह बात सामने आई थी कि अवैध रूप से पटाखा का निर्माण हो रहा था. 7 जून 2017 को बालाघाट स्थित पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ था. इसमें 25 लोगों की मौत हुई थी. बताया गया कि बीड़ी से निकली चिंगारी के बाद फैक्ट्री में आग पकड़ी थी. BJP सरकार ने क्या किया?
जीतू पटवारी
जीतू पटवारी ने आगे लिखा कि 5 अप्रैल 2017 को दतिया में एक ब्लास्ट के बाद परिवार के छह लोगों की मौत हो गई थी. यह घटना एलपीजी सिलेंडर में ब्लास्ट के बाद घटी थी. ब्लास्ट इतना बड़ा था कि घर में छह फीट गहरा गड्ढा हो गया था. BJP सरकार ने क्या किया? 13 मई 2015 को बालाघाट स्थित अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 3 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही 15 घरों में आग लग गई थी. 12 सितंबर 2015 को झाबुआ जिले के पेटलावाद में बड़ा विस्फोट हुआ था. इसमें सरकारी आंकड़े के अनुसार 79 लोगों की मौत हुई थी. स्थानीय लोग और ज्यादा बताते हैं. यहां अवैध तरीके से घर में विस्फोटक को स्टोर कर रखा गया था. BJP सरकार ने क्या किया?
इतना भयावह था पेटलावद हादसा
12 सितंबर 2015 को झाबुआ जिले के पेटलावद में सुबह राजेंद्र कांसवा के गोदाम में रखी जिलेटीन की छड़ों में विस्फोट हुआ था. उस ब्लास्ट में 79 लोगों की मौत हुई और 150 से अधिक घायल हुए थे.उस घटना में भी ब्लास्ट के समय मृतकों के अंग 200 फीट तक हवा में उड़ते नजर आए थे. वह धमाका 11 किमी दूर तक सुनाई दिया था. 3 पक्के मकान पूरी तरह तहस-नहस हो गए थे. क्षेत्र के आसपास 17 गांवों में से एक न एक व्यक्ति हादसे का शिकार हुआ था. इस घटना में 79 लोगों की मौत की बात मध्य प्रदेश की BJP सरकार ने स्वीकार की थी, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का दावा था करीब 150 लोग मारे गए. दर्जनों लोग गंभीर रूप से विकलांग हुए, जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
उन्होंने आगे लिखा है कि लापरवाही रोकने में असफल रही सरकार ने तब भी ढेर सारे वादे किए थे. इसमें मुआवजा और आश्रितों को नौकरी देना शामिल था. जीतू पटवारी ने सीएम से कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को हरदा हादसे के साथ पेटलावद ब्लास्ट के पीड़ितों को दी गई राहत की भी जांच करवानी चाहिए. क्योंकि, अभी भी प्रभावित नौकरी के लिए भटक रहे हैं. अभी भी पीड़ित वाजिब मुआवजे के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
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