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‘बैटरी गच्चा देने लगी...’, परेशान ड्रोन दीदियों का छलका दर्द

Drone Didi Scheme: मध्यप्रदेश की ड्रोन दीदियां बेहद परेशान हैं, जिन्हें सरकार ने आत्मनिर्भर बनाने के लिये हाथों में ड्रोन थमाया था. लेकिन ड्रोन के बैट्री की सांसें ऐसे फूलने लगीं कि ये बैटरी के रहमोंकरम पर निर्भर हो गई. सतना, रीवा, सीधी और देवास जिलों में कुछ ड्रोन दीदियों ने अपना किस्सा साझा किया. 

‘बैटरी गच्चा देने लगी...’, परेशान ड्रोन दीदियों का छलका दर्द

Drone Didi Scheme: देश में 'ड्रोन दीदियों' को लेकर लंबी बातें हो रही हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि ड्रोन दीदियों को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी योजना बैटरी की दिक्कतों के कारण सुस्त पड़ रही है. खेतों में उर्वरक और दवाई छिड़काव के लिए दिए गए ड्रोन अब ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं. महज कुछ मिनटों की उड़ान के बाद ये ड्रोन जमीन पर आ जाते हैं, जिससे किसानों के खेतों में काम पूरा नहीं हो पाता. 

मध्यप्रदेश की ड्रोन दीदियां बेहद परेशान हैं, जिन्हें सरकार ने आत्मनिर्भर बनाने के लिये हाथों में ड्रोन थमाया था. लेकिन ड्रोन के बैट्री की सांसें ऐसे फूलने लगीं कि ये बैटरी के रहमोंकरम पर निर्भर हो गई. सतना, रीवा, सीधी और देवास जिलों में कुछ ड्रोन दीदियों ने अपना किस्सा साझा किया. 

‘ड्रोन चंद मिनट भी चल जाए तो गनीमत'

रोशनी यादव, सतना जिले के 2 विकास खंडों नागौद और रामपुर बघेलान में ड्रोन चलाती हैं. लेकिन अब ये ड्रोन चंद मिनट भी चल जाए तो गनीमत है. रोशनी यादव बताती हैं, ड्रोन चलाती हूं. बैटरी खत्म हो गई तो ड्रोन गिर जाता है उसके पंखे टूट जाते हैं, पंखियां 8-10 दिन में आती हैं. हमें संतोष नहीं मिल रहा है. काम तो अच्छा करता है, लेकिन किसान भी संतुष्ट नहीं होता. किसान बुलाते हैं, लेकिन बैट्री खत्म हो जाती है तो 40-50 किमी जाना बेकार हो जाता है.”

वहीं देवास की मंजू दीदी खातेगांव तो निर्मला तुमड़ावदा में ड्रोन उड़ाती हैं, दोनों को खेत में दवाई के छिड़काव के लिए ड्रोन दिए गए. इंदौर में ट्रेनिंग हुई. दोनों को डर लगता है कि ड्रोन बैटरी पर निर्भर है और बैटरी गच्चा देने लगी है. 30 मिनट का वादा था अब वो बैट्री बमुश्किल 10 से 15 मिनट चलती है. 

निर्मला दीदी भी अपना डर साझा करती हैं. उन्होंने कहा, डर लगा रहता है कि ऐसा नहीं हो कि ड्रोन क्रैश हो जाए. अभी मेरा ड्रोन क्रैश हो गया था. उसके लिए लैंडिंग गियर मंगवाया मैंने. ड्रोन को उतार लेते हैं. दोनों 15-15 मिनट चलता है चार्ज होने में एक डेढ़ घंटा लगता है. 

‘2 बैटरी मिली दोनों का बैकअप बेकार'

सीधी की ड्रोन दीदी मनीषा का ड्रोन महज 5-7 मिनट बाद ही जमीन पर आ जाता है. उन्हें ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग इंदौर के प्रेस्टीज कॉलेज में मिली, नोएडा में दूसरे चरण की ट्रेनिंग हुई. उनके समूह ने खेतों में ड्रोन से उर्वरक का छिड़काव शुरू किया, लेकिन जो 2 बैटरी मिली दोनों का बैकअप बेकार. एक बार चार्ज करने पर तीन एकड़ में ही छिड़काव नहीं होता. ड्रोन इतना भारी है कि उसे खेतों तक ले जाने के लिये कोई वाहन चाहिये. 

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मनीषा कुशवाहा बताती हैं, “पहले छोटे खेतों में जाते थे लेकिन जब 8-10 एकड़ वाले खेत में गए तो बहुत दिक्कत हुई. दो एकड़ में छिड़काव के बाद बैट्री खत्म, फिर उसे चार्ज करो, लाने ले जाने में भी दिक्कत होती है.” 
रीवा में भी ड्रोन दीदी की यही शिकायत है.  बैटरी बैकअप कम और टैंक छोटा होने के कारण, ड्रोन एक बार में लगभग एक से डेढ़ एकड़ जमीन में ही छिड़काव कर पाता है. 

हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में ये उन्नत होगा. कृषि विभाग के अधिकारी पुष्पेन्द्र बताते हैं कि हमने इन ड्रोन दीदियों की बात सरकार तक पहुंचा दी है, आश्वासन भी मिला है. 

क्या बोले कृषि मंत्री शिवराज? 

केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वे इस योजना के तहत ड्रोन दीदियों को एक की बजाय पांच बैटरी देंगे. उन्होंने कहा, “ड्रोन में एक समस्या आई थी बैटरी जो उड़ाने वाली है, उसका समय काफ़ी कम था और इसके बाद एक बैटरी अगर डिस्चार्ज हो गयी तो ड्रोन दीदी परेशान रहती थी, अब हम एक नहीं पांच बैटरी दीदी को देंगे. ये अभी अभी ध्यान में आया है इसलिए रास्ता निकाला है.”

योजना अच्छी लेकिन...

ड्रोन दीदियों को सशक्त बनाने की ये योजना काफी अच्छी है, लेकिन बैटरी के दम फूलने से ड्रोन दीदियां परेशान हैं. ऐसे में सरकार के दावे और वादे कागजों पर भले ही मजबूत लगते हों, लेकिन जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, ड्रोन दीदियों के सपने अधूरे ही रहेंगे. 

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