Mid-day meal in Madhya Pradesh: सतना जिले के नागौद विकासखंड स्थित शासकीय प्राथमिक शाला नई बस्ती उमरी में मिड-डे मील योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने ही पूरे सिस्टम की पोल खोल दी. शासन द्वारा बच्चों के पोषण के लिए प्रतिदिन का विस्तृत आहार चार्ट निर्धारित है, जिसमें दाल, चावल, रोटी के साथ हरी सब्ज़ियां, मौसमी फल और अन्य पोषक तत्वों का समावेश होता है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है.
बच्चों को सिर्फ दाल-चावल मिलता
बच्चों ने बताया कि उन्हें मेनू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा. कई दिनों से सिर्फ दाल और चावल पर ही पूरी व्यवस्था निर्भर है. इतना ही नहीं, बच्चों के अनुसार उन्हें लगभग 15 अगस्त को आखिरी बार सब्ज़ी मिली थी. यह खुलासा इस बात का प्रमाण है कि स्कूल में पोषणयुक्त भोजन की भारी कमी है. और भी चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूल की रसोइया ने स्वयं स्वीकार किया कि उसने लगभग एक महीने पहले सब्ज़ी बनाई थी.

यह बयान न सिर्फ मिड-डे मील योजना की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि जिम्मेदारों के कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है.
बच्चों से धुलवाई जा रही प्लेटें
स्थिति यहीं तक सीमित नहीं है. बच्चों ने बताया कि उनसे खाने की प्लेटें धुलवाई जा रही हैं, जबकि यह नियमों के सख्त खिलाफ है. सरकारी गाइडलाइन के अनुसार, बच्चों से किसी प्रकार का श्रम करवाना पूरी तरह प्रतिबंधित है.

जब इस पूरे मामले पर प्रभारी प्रधानाचार्य से सवाल किया गया तो वे पूरी तरह अनजान बने रहे, जो स्वयं में गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का संकेत है. मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषण देना है, न कि उनके हिस्से का भोजन काटना या उन पर अतिरिक्त बोझ डालना.
यह पूरा मामला दर्शाता है कि सतना जिले के इस स्कूल में प्रणाली पूरी तरह चरमरा चुकी है और बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य तथा अधिकारों के साथ खुला खिलवाड़ हो रहा है. जरूरत है कि प्रशासन तत्काल जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करे, ताकि बच्चों का भविष्य थालियों में काटा न जाए.
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