
Madhyapradesh News: शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने मध्य प्रदेश (Madhyapradesh ) में चलाया जा रहा स्कूल मर्जर मॉडल “school merger model “ देशभर में लागू होगा. नीति आयोग ( NITI Ayog) ने इसके लिए सभी राज्यों से सिफारिश की है. ऐसा होने से शिक्षकों की कमी दूर होगी और शिक्षा गुणवत्ता में भी सुधार होगा. अभी यह मध्य प्रदेश के अलावा ओडिशा (Odisha) और झारखंड (Jhharkhand) में भी लागू है. नीति आयोग की तरफ से बताया गया है कि देशभर में फिलहाल 10 लाख शिक्षकों की कमी है, ऐसे में यह योजना लागू होने से शिक्षकों की कमी की समस्या बहुत हद तक सुलझाई जा सकती है.
छात्र 50 से कम होना जरुरी
दरअसल, पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार के लिए नीति आयोग ने साल 2017 में एक प्रोजेक्ट शुरू किया था. इसे 3 राज्यों में लागू किया गया था. 'एक शाला-एक परिसर' मॉडल के तहत एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को मर्ज करके एक स्कूल बनाया जाता है. इसमें उन स्कूलों को शामिल किया जाता है, जहां छात्रों की संख्या महज़ 50 या इससे कम होती है. इससे शिक्षकों की कमी दूर होती है.

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आधे से भी कम हुई स्कूलों की संख्या
मध्य प्रदेश में 35 हजार स्कूलों को 16 हजार स्कूलों में मर्ज किया गया था. मध्य प्रदेश में 53, 651 स्कूलों को 24, 667 में मर्ज करने की योजना भी बनाई गई. ऐसा करने से न केवल शिक्षकों की कमी दूर हुई, बल्कि इसके अलावा इस प्रयोग से सभी विषयों के शिक्षक भी एक ही स्कूल में उपलब्ध हो गए हैं, जिससे छात्रों को आसानी से हर विषय की शिक्षा मिल रही है. अधिकारियों पर भी स्कूलों की निगरानी करने का भार कम हुआ है. मध्य प्रदेश में मिल रही सफलता के बाद अब देशभर में इसे लागू करने की सिफारिश हुई है.

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कई प्रदेश
देश के कई राज्यों की स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है. इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है. शिक्षकों की कमी दूर करने कई बार छात्रों को सड़क पर उतरने मजबूर होना पड़ता है. मध्य प्रदेश के इस शिक्षा मॉडल को देश के दूसरे प्रदेशों में अगर लागू कर दिया जाता है तो काफी हद तक राहत मिलेगी.
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