
Jabalpur news: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 (PSC) परीक्षा के रिजल्ट बनाने के एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के सचिव के साथ तीन दर्जन से ज्यादा परीक्षार्थियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
यह है मामला
23 अगस्त को जस्टिस जीएस अहलूवालिया की सिंगल बेंच ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 के मामले में मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन को निर्देश दिए थे कि पहली मुख्य परीक्षा और बाद में हुई स्पेशल मुख्य परीक्षा के परिणामों को मिलाकर उनका नॉर्मलाइजेशन करने के बाद ही रिजल्ट घोषित किया जाए. पीएससी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी.
200 से ज्यादा याचिकाएं
सिंगल बेंच ने 200 से ज्यादा याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार कर मप्र लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि पहली मुख्य परीक्षा में 1918 के साथ स्पेशल मुख्य परीक्षा में बैठे 2712 परीक्षार्थियों के परिणामों को मिलाकर उनका नॉर्मलाइजेशन किया जाए. इससे पहले PSC स्पेशल मुख्य परीक्षा के बाद नए सिरे से 87-13 फीसदी के फॉर्मूले से रिजल्ट जारी कर साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू की थी. एकलपीठ के आदेश के बाद नए सिरे से कार्रवाई करनी थी.
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अगली सुनवाई 5 फरवरी को
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि पहली मेन्स में उत्तीर्ण उम्मीदवारों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी. इस मामले को लेकर कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित हैं. पीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह ठाकुर, याचिका कर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, अंशुल तिवारी मौजूद थे.
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