Madhya Pradesh Public Service Commission: मध्य प्रदेश में सरकारी परीक्षाओं (Govt Exams) के रिजल्ट से लेकर परीक्षाओं के आयोजन तक छात्रों का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने 3 मार्च को होने वाली सहायक प्राध्यापक भर्ती और ग्रंथपाल व क्रीड़ा अधिकारी परीक्षा-2022 (Assistant Professor Recruitment 2022) फिर से स्थगित कर दी है. ये पहली बार नहीं है जब इस परीक्षा को रद्द किया गया हो, इसके पहले भी ये परीक्षा 28 जनवरी को आयोजित होने वाली थी, लेकिन इसकी तारीख आगे बढ़ाकर 3 मार्च कर दिया गया. अब दोबारा से बिना कारण बताए इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है.
PSC के मेन्स के लिए अभ्यर्थियों ने मांगा था समय
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पिछले दिनों पीएससी 2023 के मेन्स एग्जाम की तारीख बढ़ाने से इसलिए मना कर दिया था, क्योंकि तारीख बढ़ाए जाने से पीएससी के वार्षिक कैलेंडर को फॉलो नहीं किया जा सकेगा. बीते दिनों पीएससी के अभ्यर्थियों ने इसको लेकर इंदौर में आयोग के कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन भी किया था. अभ्यर्थियों की मांग थी कि हर बार की तरह इस बार भी मेन्स के एग्जाम की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जाए. लेकिन, उस वक्त आयोग ने अभ्यर्थियों की इस मांग को ठुकरा दिया था. और अब आयोग द्वारा बिना किसी कारण बताए सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा की तारीख बढ़ाई गई है.
बार-बार टाली जा रही परीक्षाएं
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार आठ विषयों- वनस्पति (17), वाणिज्य (21), अंग्रेजी (24), हिन्दी (28), इतिहास (29), गृह विज्ञान (30), गणित (33), संस्कृत (44), ग्रंथपाल (52) एवं क्रीड़ा अधिकारी (53) में सहायक प्राध्यापक के पदों पर भर्ती होनी है. लेकिन, बार-बार परीक्षाएं टाली जा रही हैं. हालांकि, एक बार फिर अधिसूचना जारी कर आयोग ने जल्द ही अगली तारीख तय करने की बात कही है.
बता दें कि सहायक प्राध्यापक भर्ती और ग्रंथपाल व क्रीडा अधिकारी परीक्षा के लिए आयोग द्वारा विज्ञापन जारी किया था. शासन के निर्देश के बावजूद आयोग ने कॉलेज में पदस्थ अतिथि विद्वानों को अनुभव का लाभ नहीं दिया. अतिथि विद्वानों ने इसे लेकर ज्ञापन भी दिया, मगर आयोग ने नियमों में कोई बदलाव नहीं किया. इसे लेकर नाराज उम्मीदवारों ने पंजीयन नहीं करवाया और ज्ञापन के बाद अतिथि विद्वानों ने भी अपना आंदोलन शुरू कर दिया था. अतिथि विद्वान लगातार अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं. कॉलेजों में बड़ी संख्या में सहायक प्राध्यापकों के पद खाली हैं. अतिथि विद्वानों ने इस मामले पर कोर्ट की भी शरण ली थी.
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