2017 Mandsaur Firing Case: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) ने वर्ष 2017 में मंदसौर में हुए गोली कांड (Mandsaur Firing Case) की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति जैन आयोग (Jain Commission Report) की रिपोर्ट विधानसभा में पेश किए जाने की गुहार वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ (MP High Court Indore Bench) ने फैसला किया कि गोली कांड को सात साल गुजर जाने के बाद आयोग की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का अदालती आदेश (रिट) जारी किए जाने का कोई आधार नहीं है.
किसने लगाई थी याचिका?
रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने जनहित याचिका में कहा था कि गोली कांड की जांच के बाद न्यायमूर्ति जैन आयोग ने 13 जून 2018 को राज्य सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इस रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
इन जजों ने खारिज की याचिका
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने सखलेचा व प्रदेश सरकार की ओर से पेश दलीलों और कानूनी प्रावधानों पर गौर करने के बाद पूर्व विधायक की याचिका 14 अक्टूबर को खारिज कर दी. युगल पीठ ने शीर्ष अदालत की एक नजीर के हवाले से कहा कि यदि आयोग की जांच रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गई, तो सदन का कोई भी सदस्य प्रश्न पूछ कर इसे पेश किए जाने की मांग कर सकता था.
अपनी उपज के बेहतर दामों की मांग को लेकर मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर छह जून 2017 को पुलिस की गोलीबारी के बाद छह कृषकों की मौत हो गई थी.
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