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कोरोना में मम्मी-पापा को ये खो चुके हैं...गुजारिश है ! अब मदद मत रोकिए सरकार

कोरोना काल के दौरान हजारों बच्चों के सर से उनके मां-बाप में से किसी एक का या फिर दोनों का साया उठ गया था. तब सरकार ने उनकी मदद का ऐलान करके खूब सुर्खियां बटोरी थी लेकिन अब इन बच्चों के सामने नया संकट आ गया है. सरकार ने महीनों से उनके खाते में पैसा नहीं डाला है. क्या है स्थिति पढ़िए इस रिपोर्ट में

कोरोना में मम्मी-पापा को ये खो चुके हैं...गुजारिश है ! अब मदद मत रोकिए सरकार

MP News: कोरोना काल के दौरान हजारों बच्चों के सर से उनके मां-बाप में से किसी एक का या फिर दोनों का साया उठ गया था. तब उनके और समाज के सामने सवाल पैदा हुआ कि इन बेसहारों का सहारा कौन बनेगा? अच्छी बात ये है कि इस सवाल का जवाब लेकर  सामने आई खुद मध्यप्रदेश सरकार. ऐलान हुआ कि ऐसे बच्चों को सरकार न सिर्फ हर महीने पैसे देगी बल्कि उनकी पढ़ाई का खर्च भी उठाएगी. तब सरकारी ऐलान की खूब वाहवाही हुई...शुरू में तो सब ठीक चला भी लेकिन अब बजट का अड़ंगा आ गया है. आलम ये है कि इन बच्चों के खाते में महीनों से पैसे नहीं आए हैं. क्यों हुआ ऐसा? सरकार अब क्या कह रही है? इन सबका जवाब आपको देंगे इस रिपोर्ट.

सबसे पहले बात वास्तविक हालात की. बता दें कि मई 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि ऐसे बच्चे जिनके घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा उन्हें 5000 रु हर महीने मिलेंगे. इसके अलावा निशुल्क पढ़ाई भी सरकार कराएगी. 

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अब स्थिति को आपने समझ लिया अब एक केस स्टडी से हालात को और गहराई से समझते हैं. भोपाल में रहने वाले भाई-बहन विनिशा और विवान ने कोरोना के वक्त अपने माता-पिता दोनों को खो दिया. जिसके बाद वे अपने मामा-मामी के घर रहने लगे. शुरू में सरकार से पैसे मिलते थे तो दोनों ने जमकर पढ़ाई की लेकिन अब दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. क्योंकि महीनों से उनके खाते में पैसे नहीं आए. 
 

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विवान बताते हैं कि आखिरी बार जनवरी 2023 में उनके खाते में पैसे आए थे. उनकी दीदी के खाते का भी यही हाल है. सरकार ने हमें आयुष्मान कार्ड दिया था लेकिन वो भी एक्टिव नहीं हुआ. वे बताते हैं कि अब सबकुछ मामा-मामी ही करते हैं. स्कूल की फीस देना भी अब मुश्किल हो गया है. विवान की परवरिश कर रही उनकी मामी डॉ भावना बताती हैं कि काफी परेशानी हो रही है. कुछ दिनों पहले वनीशा बीमार हुई तो उसके इलाज में एक लाख रुपये खर्च हो गए. आष्युमान कार्ड की योजना का भी कोई लाभ नहीं मिला. वे बताती हैं कि उनका परिवार सक्षम है इसलिए इनका इलाज हो गया लेकिन उन बच्चों का क्या होगा जिन्हें पालने वाले सक्षम नहीं है.डॉ भावना साफ कहती हैं कि सरकारें पहले वायदा करती है लेकिन फिर योजनाओं को बंद कर देती है. बहुत दयनीय हालत है. 

इस मामले में हमने सीधे सरकार के मुखिया से सवाल किया तो CM मोहन यादव ने बताया- देश में सबसे पहले ये योजना हमारी सरकार ने ही शुरू की थी. हम किसी योजना को बंद नहीं करेंगे. कोई तकनीकी अड़चन आई है तो उसका हल निकालेंगे. इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि  हम सिर्फ आर्थिक मदद न देकर लोगों को रोजगार से भी जोड़ना चाहते हैं. बहरहाल अहम ये है कि कोविड से प्रभावित बच्चों और मुख्यमंत्री का ही व्हाट्सऐप ग्रुप है. सवाल ये है कि यहां भी बच्चों ने अपनी मुश्किलों का जिक्र किया होगा तब सरकार ने ध्यान क्यों नहीं दिया. 
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