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MP सरकार बोली- राज्य में करीब 26 लाख ही हैं 'आकांक्षी युवा', पर पोर्टल में संख्या है करोड़ों में

मध्यप्रदेश में बेरोजगारी को लेकर सरकारी आंकड़े सवालों के घेरे में हैं...2018 में जहां बेरोजगारों की संख्या 26.82 लाख थी वो 2023 में बढ़कर 33.13 लाख हो गई.चौंकाने वाली बात ये है कि जून 2025 तक यह आंकड़ा गिरकर 25.68 लाख रह गया.जबकि इसी दौरान 62.75 लाख युवाओं ने रोजगार के लिए पोर्टल पर पंजीयन कराया है.

MP सरकार बोली- राज्य में करीब 26 लाख ही हैं 'आकांक्षी युवा', पर पोर्टल में संख्या है करोड़ों में

Unemployment In MP: मध्यप्रदेश के युवा आंकड़ों के जाल में उलझ कर रह गए हैं. ये हम नहीं कह रहे बल्कि सरकार के ही आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं. दरअसल मध्यप्रदेश में बेरोजगारी को लेकर सरकारी आंकड़े सवालों के घेरे में हैं. सरकार ने बताया है कि राज्य में अब बेरोजगारों की संख्या घटकर 25.68 लाख रह गई है. सुनने में ये बात थोड़ा सुकून देती है लेकिन जब आप पिछले  आंकड़ों पर निगाह डालेंगे तो पता चलेगा कि कहीं न कहीं ये आंकड़ों की बाजीगरी है...एक बानगी देखिए-2018 में जहां बेरोजगारों की संख्या 26.82 लाख थी वो 2023 में बढ़कर 33.13 लाख हो गई.चौंकाने वाली बात ये है कि 30 जून 2025 तक यह आंकड़ा गिरकर 25.68 लाख रह गया.जबकि इसी दौरान 62.75 लाख युवाओं ने रोजगार के लिए पोर्टल पर पंजीयन कराया है. यानी लाखों युवा खुद को बेरोजगार मानते हुए सरकारी पोर्टल पर रजिस्टर करते रहे,लेकिन कुल आंकड़े में बेरोजगारी घटती नजर आ रही है.

जो असल आंकड़े हैं वे बेरोजगार नहीं आंकाक्षी युवा हैं!

ये जानकारी विधानसभा में विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के उत्तर में कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल ने दी है.सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि अब बेरोजगार शब्द की जगह 'आकांक्षी युवा' शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है...मंत्री ने यह साफ किया है कि एमपी पोर्टल पर आवेदन करने वाला युवाओं को बेरोजगार नहीं माना जाता, उसे केवल 'पंजीकृत आवेदक' की श्रेणी में रखा गया है. यानी जो युवा खुद को बेरोजगार मानकर आवेदन कर रहा है, वह सरकार की नज़र में बेरोजगार नहीं बल्कि ‘आकांक्षी युवा' है.दरअसल सरकार के ही आंकड़ों में 2018 से जून 2025 के बीच बेरोजगारी में जो उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया है. यह सामान्य नहीं कहा जा सकता.किसी साल में आंकड़े 5-6 लाख बढ़ते हैं, तो अगले ही साल उतनी ही तेजी से गिर भी जाते हैं. उदाहरण के तौर पर 2019 में बेरोजगारी 31.55 लाख तक पहुंच गई थी, जो अगले ही साल 24.72 लाख पर आ गई फिर 2021 में यह बढ़कर 30 लाख से ज्यादा हो गई.2023 में संख्या 33.13 लाख तक पहुंची, लेकिन 2024 में यह घटकर सिर्फ 26.18 लाख रह गई. 

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इसी अवधि में लाखों युवाओं ने रजिस्ट्रेशन भी कराया.2021 में 12.37 लाख युवाओं ने आवेदन किया और 2023 में 13.64 लाख ने.इसके बावजूद 2024 में बेरोजगारी में अचानक भारी गिरावट दर्ज कर दी गई, जबकि उसी साल सरकार ने करीब 53 हजार युवाओं को ऑफ़र लेटर का दावा किया.विधानसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक, रोजगार कार्यालय द्वारा शासकीय नौकरी नहीं दी गई,बल्कि निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के लिए ऑफर लेटर दिए गए हैं, लेकिन यहां आंकड़े और भी निराशाजनक हैं. 

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इन सबके बीच एक बड़ा खुलासा और हुआ है कि 2021 में सरकार ने यशस्वी नाम की कंपनी को 25 हजार युवाओं को रोजगार दिलाने का ठेका दिया था. कंपनी ने सरकार को जो 11,680 युवाओं की सूची दी, उसमें से जांच में सिर्फ 4433 ही सही पाए गए.इसके बावजूद सरकार ने कंपनी को 4.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया.चौंकाने वाली बात यह रही कि इस कॉन्ट्रैक्ट में पेनल्टी का कोई प्रावधान ही नहीं था,यानी कंपनी ने शर्तों को पूरा नहीं किया, फिर भी उसे भुगतान कर दिया गया और कोई जुर्माना भी नहीं. फिलहाल आंकड़ों से साफ है कि औसतन हर साल 25 से 33 लाख युवा पोर्टल पर नौकरी की उम्मीद में पंजीयन करवा रहे हैं

 नौकरी चाहने वाले 2.5 करोड़, 3 लाख को मिला ऑफर लेटर

कुल मिलाकर 7 सालों में लगभग 3 लाख से भी कम युवाओं को ऑफर लेटर दिए गए, जबकि पंजीयन करने वालों की संख्या 2.5 करोड़ से अधिक रही. यानी हर 100 पंजीयन में मुश्किल से एक को भी रोजगार का अवसर नहीं मिला. कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने इसी मसले पर सरकार से सवाल पूछा कि जब कंपनी ने फ्रॉड किया तो उस पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? इसके अलावा उस कंपनी को भुगतान कराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? प्रताप ग्रेवाल ने आरोप लगाया कि उनके प्रश्न के जवाब में कई अहम बिंदुओं से या तो किनारा किया गया या गोलमोल बातें की गईं हैं बेरोजगारों को आकांक्षी युवा कह देना यह शब्दावली में बदलाव केवल दिखावटी नहीं है यह आंकड़ों में हेरफेर का तरीका भी है. हालांकि राज्य मंत्री कौशल विकास एवं रोजगार गौतम टेटवाल इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने NDTV के सवाल पर कहा कि ऐसा नहीं है. उन्होंने बताया कि जिनको रोजगार उपलब्ध हो गया है और वह रोजगार पर चले गए हैं ,प्राइवेट या आउटसोर्स के जरिए उनकी जॉब लग गई तो संख्या कम ज्यादा होती रहती है. यह बेरोजगारों का नहीं बल्कि आकांक्षी युवाओं का रजिस्ट्रेशन है.

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