Madhya Pradesh Assembly Election 2023: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंह (Rakesh Singh) मध्य प्रदेश की जबलपुर संसदीय सीट (Jabalpur Seat) पर लगातार चार बार जीत का परचम फहरा चुके हैं, लेकिन क्षेत्र के अपने पहले विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
पिछले आम चुनाव में जबलपुर संसदीय क्षेत्र में कुल 18,19,893 मतदाता थे. राकेश सिंह ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और उम्मीदवार विवेक तन्खा (Vivek Tankha) के खिलाफ साढ़े चार लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. राकेश सिंह भारतीय जनता पार्टी के उन चुनिंदा सांसदों में शामिल हैं जिन पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव में दांव लगाया है.
छात्र राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरुआत करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जिला अध्यक्ष और लगातार चौथी बार संसद में मध्य प्रदेश की 'संस्कारधानी' कहे जाने वाले जबलपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे राकेश सिंह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
"यह विधानसभा का चुनाव है, लोकसभा का नहीं"
नर्मदा रोड स्थित बंदरिया तिराहा पर अपना व्यवसाय करने वाले 58 वर्षीय केशव शिवहरे ने टिप्पणी की कि यह चुनाव उनके लिए किसी 'अग्निपरीक्षा' से कम नहीं है. शिवहरे का कहना है कि राकेश सिंह (BJP Candidate Rakesh Singh) के पास गिनाने के लिए केंद्र की योजनाएं हैं. उनके पास मोदी जी का चेहरा है, लेकिन भनोत स्थानीय हैं और वह लोगों के सुख-दुख में साथ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'एक तरफ जहां भनोत (Congress Candidate Tarun Bhanot) की साफ सुथरी छवि है और वह मिलनसार भी हैं, वहीं दूसरी ओर राकेश सिंह की छवि इसके विपरीत है.'
यह पूछे जाने पर कि वह चार बार के सांसद हैं और उनकी जीत का अंतर चार लाख से अधिक का रहा है, तो शिवहरे ने कहा कि यह विधानसभा का चुनाव है, लोकसभा का नहीं.
कांग्रेस ने जीते हैं पिछले 2 चुनाव
जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र (Jabalpur West Assembly Seat) में भाजपा को पिछले दो चुनावों में निराशा हाथ लगी थी और यही कारण था कि इस बार पार्टी ने राकेश सिंह को मैदान में उतारने का फैसला किया. यहां से लगातार दो बार के विधायक और कांग्रेस की पिछली सरकार के वित्त मंत्री तरुण भनोत उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. भनोत ने 2013 में भाजपा के तत्कालीन विधायक हरेंद्र जीत सिंह 'बब्बू' के खिलाफ करीब एक हजार और 2018 में 18,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. लगातार दूसरी जीत हासिल करने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें अपनी सरकार में वित्त मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा था.
भनोत पंजाबी हिन्दू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. क्षेत्र में इस समुदाय के करीब 15,000 मतदाता हैं. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,17,459 मतदाता हैं. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित कई दलों व निर्दलीय सहित कुल 10 उम्मीदवार भी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है.
धुआंधार प्रचार में जुटे राकेश सिंह
राकेश सिंह लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक हैं. वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. वह जनता के बीच बतौर सांसद अपनी उपलब्धियां और जनहित में किए गए कार्यों की फेहरिस्त पेश कर रहे हैं. क्षेत्र में लगातार और धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे सिंह ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, "जबलपुर को 20 साल पहले कभी बड़ा गांव कहा जाता था, लेकिन मेरे परिश्रम की वजह से वह आज महानगर की श्रेणी में आ गया है.'' फ्लाईओवर, रिंग रोड, हवाई अड्डा, अत्याधुनिक रेलवे स्टेशन, साइंस सेंटर और आईटी पार्क सहित अन्य विकास कार्यों को अपनी उपलब्धियों के तौर पर गिनाते हुए उन्होंने दावा किया कि इन्हीं कामों की वजह से क्षेत्र की जनता उनका साथ दे रही है.
तरुण को वोटरों पर है विश्वास
ऐसे ही कुछ दावे भनोत के भी हैं. पिछले 10 सालों में बतौर विधायक अपने कार्यों का ब्योरा देते हुए उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, 'मुकाबला सांसद से है, यह महत्वपूर्ण नहीं है. मेरे जो कर्म रहे हैं, वह महत्वपूर्ण हैं और मेरे क्षेत्र की जनता मेरे आचरण, आचार व विचार से परिचित है.' उन्होंने कहा, 'मेरा परिवार जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र की जनता है. मुझे इस जनता पर विश्वास है, उनका पूरा आशीर्वाद एक बार फिर मुझे मिलेगा.'
दोनों ही नेता अपनी जीत पक्की बता रहे हैं. हालांकि, तीन दिसंबर को जब नतीजे आएंगे तभी स्पष्ट होगा कि राकेश सिंह विधानसभा की दहलीज पर बतौर विधायक पहली बार कदम रख सकेंगे या फिर हैट्रिक लगाकर भनोत उनके मंसूबों पर पानी फेरेंगे.
जनता को मिल रहा सरकार की योजनाओं का लाभ
एक तरफ जहां प्रत्याशियों के जीत के अपने-अपने दावे हैं, तो वहीं मतदाताओं की राय भी बंटी हुई है. केशव शिवहरे के विपरीत 45 वर्षीय अलका कनौजिया की राय कुछ अलग है. उन्होंने कहा, 'महंगाई निश्चित तौर पर महिलाओं के लिए एक मुद्दा है, लेकिन उन्हें केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है.' लाडली बहना योजना के तहत खुद उन्हें दो बार 1200-1200 रुपये मिले हैं.
राकेश सिंह के रूखे व्यवहार से नाराज दिखे कार्यकर्ता
एक निजी कंपनी में कार्यरत और गोरखपुर इलाके के निवासी आशीष कुमार सिंह (34) का कहना है, 'दोनों में टक्कर है और इतना स्पष्ट है कि कांग्रेस यहां से जीतती है तो यह भनोत की व्यक्तिगत जीत होगी. और अगर राकेश सिंह जीतते हैं तो यह भाजपा की जीत होगी.' खुद को भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा का एक कार्यकर्ता बताने वाले 24 वर्षीय एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "अभी भनोत का पलड़ा भारी है. आज की तारीख में सांसद जी की डगर आसान नहीं दिख रही है."
भाजपा के ही एक अन्य कार्यकर्ता ने अपना नाम गोपनीय रखते हुए बताया कि राकेश सिंह बेशक चार बार के सांसद हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर अन्य चीजों के अलावा उनकी छवि भी उनकी राह में रोड़े अटका सकती है. इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ राकेश सिंह के रूखे व्यवहार का हवाला दिया. उन्होंने कहा, 'राकेश सिंह के पास किसी काम को लेकर जब भी कोई कार्यकर्ता जाता है तो अक्सर उनका यही जवाब होता है कि यह मेरा विषय नहीं है. आप फलां पार्षद के पास जाओ या फलां विधायक के पास जाओ.'
जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट की इतिहास
जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट (Jabalpur Paschim Assembly Seat) पर अभी तक कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला रहा है. 1957 से 1985 के बीच इस सीट पर हुए सभी चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली. 1990 में भाजपा की जयश्री बनर्जी ने इस सिलसिले को तोड़ा और 2008 तक इस सीट पर भाजपा का जलवा रहा, लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर इस सीट पर वापसी की और भनोत पहली बार विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 2018 में लगातार दूसरी बार यहां से जीत हासिल की और अब हैट्रिक लगाने के प्रयास में हैं.
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