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This Article is From Nov 03, 2023

MP में कौन होगा अगला CM? ‘मामा’ के लिए इस बार का चुनाव थोड़ा अलग, समझें चुनावी गणित

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने चौहान की तुलना में कमजोर उम्मीदवार को मैदान में उतारकर 'मामा' के लिए मुकाबले को आसान बना दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने भी वैराग्यानंद गिरि उर्फ 'मिर्ची बाबा' को बुधनी से टिकट दिया है

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MP में कौन होगा अगला CM? ‘मामा’ के लिए इस बार का चुनाव थोड़ा अलग, समझें चुनावी गणित
फाइल फोटो

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) बुधनी विधानसभा सीट (Budhni Assembly Seat) में अजेय रहे हैं, लेकिन इस बार का चुनाव उनके लिए थोड़ा अलग प्रतीत हो रहा है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए 'मामा' को पार्टी का चेहरा नहीं बनाया है.

राज्य में 'मामा' के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी सीट से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ा है और 60 प्रतिशत या उससे अधिक वोट हासिल करके वह अजेय रहे हैं, लेकिन इस बार का चुनाव बुधनी के लिए थोड़ा अलग दिखाई दे रहा है. शिवराज सिंह की अस्वाभाविक शैली के चलते उन्हें मध्य प्रदेश में 'मामा' के नाम से पुकारा जाता है.

BJP के पास कई CM चेहरे

इस बार सत्तारूढ़ दल ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए लोकसभा के सात सदस्यों को मैदान में उतारा है. जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल, रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं. भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनावी मैदान में उतारा है. इस कदम से संकेत मिलते हैं कि भाजपा ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद (CM face in Madhya Pradesh) के लिए विकल्प खुले रखे हैं और मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान एकमात्र पसंद नहीं हो सकते हैं.

चौहान ने बुधनी से 1990 में लड़ा था पहला चुनाव

शिवराज सिंह ने 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था. हालांकि, भाजपा ने उन्हें 1991 में विदिशा लोकसभा सीट से उस वक्त मैदान में उतारा था, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ संसदीय सीट बरकरार रखने के लिए विदिशा से इस्तीफा दे दिया था. भाजपा के एक प्रमुख ओबीसी चेहरा शिवराज सिंह चौहान ने 2013 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था. 

इसके बाद 2018 में उनकी जीत का अंतर घटकर लगभग 59,000 मतों का रह गया था. उस वक्त कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा था, वह भी ओबीसी नेता हैं. कांग्रेस ने इस बार बुधनी में चौहान के मुकाबले के लिए टीवी अभिनेता विक्रम मस्ताल (Congress Candidate Vikram Mastal) को मैदान में उतारा है, जिन्होंने एक धारावाहिक में हनुमान की भूमिका निभाई है.

सपा ने मिर्ची बाबा को उतारा मैदान में

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने चौहान की तुलना में कमजोर उम्मीदवार को मैदान में उतारकर 'मामा' के लिए मुकाबले को आसान बना दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी (SP) ने भी वैराग्यानंद गिरि उर्फ 'मिर्ची बाबा' (Vairagyanand Giri Mirchi Baba) को बुधनी से टिकट दिया है. मिर्ची बाबा ने 2019 में भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की जीत के लिए मिर्च का इस्तेमाल करके हवन किया था, हालांकि भाजपा की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बाजी मार ली थी.

CM फेस के सवाल पर BJP नेताओं ने किया किनारा

भाजपा ने इस बार चौहान को अपना मुख्यमंत्री चेहरा बनाने से परहेज किया है. इसका संकेत 17 नवंबर को होने वाले चुनावों के लिए सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से मिल रहा है. इस साल अगस्त में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से जब पूछा गया था कि अगर चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में बरकरार रहती है तो क्या चौहान ही मुख्यमंत्री होंगे, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया था. शाह ने कहा था, "आप पार्टी का काम क्यों कर रहे हैं? हमारी पार्टी अपना काम करेगी. आप मोदी जी और शिवराज जी के विकास कार्यों को जनता तक ले जाएं. यह भी बताएं कि क्या कांग्रेस ने कोई विकास कार्य किया है?''

भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि विधानसभा चुनाव जीतने और राज्य में सरकार बनाने के बाद उनकी पार्टी का संसदीय बोर्ड इस पर निर्णय लेगा कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. भोपाल स्थित वरिष्ठ पत्रकार और बुधनी के मूल निवासी राघवेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले दो दशक में चौहान के सामने चुनौती पेश करने के लिए शायद ही कोई जुझारू चेहरा उतारा हो. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए कांग्रेस का कोई बड़ा आंदोलन नहीं देखा गया है. इतना ही नहीं, कांग्रेस एक स्थानीय चेहरा बनाने में भी विफल रही है, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता चौहान का मुकाबला कर सके.

बुधनी में चुनाव एकतरफा

बुधनी विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाले शाहगंज के किसान भूपेश भदौरिया ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उनके क्षेत्र में सड़कों का निर्माण किया गया है और बिजली की आपूर्ति अच्छी है. कांग्रेस से जुड़े भदौरिया ने प्रदेश के अन्य जिलों के पिछड़े होने का दावा करते हुए कहा कि बेरोजगारी की समस्या बुधनी में भी है. उन्होंने कहा, हालांकि, बुधनी में पिछले दशक में विकास हुआ है. जब उनसे पूछा गया कि क्या चौहान के मुख्यमंत्री बनने से बुधनी क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलता है, तो उन्होंने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि यह चुनाव एकतरफा है और हर कोई चाहता है कि मुख्यमंत्री उनके क्षेत्र का हो.

जीत के लिए दोनों ही पार्टियां कर रहीं दावे

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और बुधनी निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी संतोष सिंह गौतम ने दावा किया कि उनकी पार्टी के मस्ताल को चुनावी मैदान में उतारने के कारण चौहान मुश्किल स्थिति में आ गये हैं, क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार एक सेलिब्रिटी हैं और इस निर्वाचन क्षेत्र से हैं. उन्होंने कहा कि मस्ताल लंबे समय से क्षेत्र में काम कर रहे हैं. वहीं प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि बुधनी के लोग चौहान को परिवार का हिस्सा मानते हैं. उन्होंने कहा कि जीत के अंतर में उतार-चढ़ाव कई कारणों पर निर्भर करता है, लेकिन बुधनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता उन्हें ही पसंद करते हैं.

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