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Satna Seat: कभी हराने के लिए की थी 'दुआ', अब जीत का 'सेहरा' सजा रहे, क्या राजाराम-सुधीर से BJP को होगा लाभ?

Satna Lok Sabha Seat: इस बार सतना लोकसभा का टिकट कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सिद्वार्थ कुशवाहा को दे दिया, जिससे नाराज होकर राजाराम त्रिपाठी भाजपा के पाले में चले गए. इससे पहले भी राजाराम कांग्रेस से बगावत कर सपा से चुनाव लड़े थे, तब भी उन्हें जीत नसीब नहीं हो सकी थी. 

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Satna Seat: कभी हराने के लिए की थी 'दुआ', अब जीत का 'सेहरा' सजा रहे, क्या राजाराम-सुधीर से BJP को होगा लाभ?

MP News: जैसे-जैसे गर्मी का पारा बढ़ रहा है और मतदान की तारीख (Voting Date of Lok Sabha Election 2024) आने के साथ ही सियासी पारा भी उछाल ले रहा है. सतना लोकसभा सीट (Satna Lok Sabha Seat) में समय के साथ कई राजनैतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. राजनीति का नया रंग किस दल (Party) को फायदा देगा और किसे कड़वे अनुभव का अहसास होगा यह तो 4 जून को नतीजे सामने आने के बाद पता चलेगा? लेकिन दल-बदल के दौर से कई दिलचस्प रंग देखने को मिल रहे हैं. स्थिति तो यह है कि जो सूरमा बीते चुनावों में BJP प्रत्याशी गणेश सिंह को हार का स्वाद चखाने के लिए खुद जोर आजमाइश किया करते थे, अब वही दिग्गज बीजेपी उम्मीदवार (BJP Candidate) की जीत का 'सेहरा' बुनने में लग गए हैं. यह स्थिति हाल ही में चलाए गए भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान के बाद बनी है. बीते दिनों कांग्रेस (Congdress) के पूर्व महापौर राजाराम त्रिपाठी और कांग्रेस के पूर्व स्पीकर सुधीर सिंह तोमर BJP में शामिल हो गए. उन्होंने कई चुनाव BJP के प्रत्याशी गणेश सिंह के विरोध में लड़े हैं. हालांकि उन्हें चुनावी मैदान में  कोई सफलता नहीं मिली है.

2019 के चुनाव में गणेश से हार गए थे राजाराम

पिछले लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में हुए थे, इस चुनाव में सतना लोकसभा सीट से भाजपा ने सांसद गणेश सिंह को चुनावी रण में उतारा था, वहीं कांग्रेस ने पूर्व महापौर राजाराम त्रिपाठी को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी (Congress Candidate) घोषित किया. चुनावी परिणाम (Election Result) में भाजपा के गणेश सिंह को कुल 5 लाख 88 हजार 753 मत प्राप्त हुए थे, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी सिर्फ 3 लाख 57 हजार 280 मत ही अपने खाते में जुटा पाए.

इस बार सतना लोकसभा का टिकट कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सिद्वार्थ कुशवाहा को दे दिया, जिससे नाराज होकर राजाराम त्रिपाठी भाजपा के पाले में चले गए. इससे पहले भी राजाराम कांग्रेस से बगावत कर सपा से चुनाव लड़े थे, तब भी उन्हें जीत नसीब नहीं हो सकी थी. 

2009 में चौथे स्थान पर थे सुधीर सिंह

2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गणेश सिंह को मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी प्रत्याशी के नए नवेले साथी बने राजाराम त्रिपाठी और सुधीर सिंह 2009 में गणेश सिंह के प्रतिद्वंदी थे. कांग्रेस से सुधीर सिंह तो सपा से राजाराम त्रिपाठी बीजेपी का मुकाबला कर रहे थे. उस वक्त बसपा (BSP) से मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी सिद्वार्थ कुशवाहा के पिता सुखलाल कुशवाहा चुनाव लड़ रहे थे. 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुधार सिंह 90 हजार 806 मत प्राप्त कर चौथे स्थान पर रहे थे. वहीं सपा के राजाराम 1 लाख 30 हजार 339 वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे. नंबर दो पर बसपा प्रत्याशी सुखलाल कुशवाहा थे, जिन्हें 1 लाख 94 हजार 624 वोट मिल सके थे. इस प्रकार से 2009 के चुनाव में भाजपा के गणेश सिंह  1 लाख 94 हजार 624 वोट पाकर दूसरी बार सांसद बने थे.

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