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This Article is From Apr 24, 2024

Elections 2024: रोजगार, विकास, भ्रष्टाचार और पानी की समस्या.... बुंदेलखंड में कब पूरे होंगे ये चुनावी वादे?

Development Issues in Bundelkhand: बुंदेलखंड लंबे समय से विकास और पानी की समस्या का मुद्दा रहा है. हर बार की तरह ही इस बार भी चुनावी मौसम में विकास के हजार दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र की जमीनी हकीकत इन दावों को खोखला साबित करती है.

Elections 2024: रोजगार, विकास, भ्रष्टाचार और पानी की समस्या.... बुंदेलखंड में कब पूरे होंगे ये चुनावी वादे?
हर साल गर्मियों में बुंदेलखंड के लोग पानी के लिए भटकते हैं.

Water Crisis in Bundelkhand: राजा-महाराजाओं की ऐतिहासिक विरासत से ताल्लुक रखने वाले बुंदेलखंड (Bundelkhand) के दिन कब बदलेंगे, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. साल दर साल लोगों को यही उम्मीद रहती है कि अब कुछ बेहतर होगा, कुछ ऐसा होगा कि किसानों के टूटते मनोबल को संबल मिलेगा, सूखते खेतों की दरारों में जल्द पानी दौड़ेगा और युवाओं के हाथों में रोजगार होगा. लेकिन, बुंदेलखंड के लोगों की यह उम्मीद अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. महंगाई की मार (Inflation) और हाथों में बेरोजगारी (Unemployment) होने के कारण किसान अपनी जमीन बेचकर जा रहे हैं. जमीनों से दूर होते किसान के पीछे का सच बुंदेलखंड में जलसंकट (Water Crisis) ही है. बंजर जमीन और सूखते कंठ इस हकीकत की गवाही दे रहे हैं. 

पन्ना जैसी डायमंड नगरी (Diamond City Panna) के लोगों को दो जून की रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. बीते बीस वर्षों में ऐसा कुछ नहीं हो सका, जिससे स्थानीय लोगों को काम-धंधा मिलता या किसानों के खेतों में हरियाली बिखरती हुई दिखाई दे. जबकि चुनावी मंचों पर दावे और वादे करने वाले नेता हमेशा बुंदेलखंड के विकास की बातें कहते रहे हैं. जब चुनाव आते हैं तब हर वर्ग के विकास की बात कही जाती है. इसी विश्वास के चलते लोगों ने खजुराहो लोकसभा क्षेत्र (Khajuraho Lok Sabha Constituency) में हर सांसद को भरपूर प्यार दिया. लेकिन, चुनाव के बाद फिर क्षेत्र के लोगों को पलटकर नहीं देखा.

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पानी की समस्या कब होगी हल?

पूरे बुंदेलखंड में गर्मियों के समय पानी की किल्लत रहती है. खासकर के अप्रैल-मई महीने से पीने के पानी का सबसे बड़ा संकट यहां देखने को मिलता है. यहां हर साल सूखे के हालात बनते हैं और फिर लोग कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाकर अपना गुज़ारा करते हैं. वहीं कुछ जगहों पर टैंकर से भी पानी पहुंचाया जाता है. बुंदेलखंड की में ऐसी तस्वीरें सिर्फ सूखे के समय ही नहीं, हर साल देखने को मिलती है. चाहे बुंदेलखंड के एमपी क्षेत्र की बात हो या यूपी की, हर जगह पानी के लिए लोग भटकते हैं.

कब शुरू होगा केन-बेतवा प्रोजेक्ट?

केन-बेतवा प्रोजेक्ट शुरू होने से मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, विदिशा, सागर, शिवपुरी, दतिया और रायसेन जिले को इस परियोजना का लाभ मिलेगा. वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा, झांसी और ललितपुर जिले लाभान्वित होंगे. इतनी बड़ी आबादी को फायदा होने के बावजूद अब तक यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो सका है. 1999 के बाद से बुंदेलखंड की खजुराहो सीट पर भाजपा का राज चला आ रहा है. इससे पहले कांग्रेस का दबदबा था. इस बार फिर मंचों से दावे और वादों का दौर शुरू हो गया है. 44 हजार करोड़ के केन-बेतवा प्रोजेक्ट की अभी तक ईंट नहीं रखी जा सकी है.

बीजेपी कर रही विकास के दावे

बुंदेलखंड के मुद्दों पर जब NDTV ने छतरपुर भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रभान सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने का काम किया है. हर वर्ग के लिए योजनाएं बनाई है. खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में कई बड़े काम हुए हैं. खजुराहो का आधुनिक रेलवे स्टेशन, हेलीकॉप्टर ट्रेनिंग सेंटर सहित कई बड़े काम हुए हैं. गांवों से लेकर शहरों तक विकास का खाका खींचा गया है. विकास की यह रफ्तार आगे भी जारी रहेगी.

विपक्षी गठबंधन ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं खजुराहो लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी आरबी प्रजापति का कहना है कि भाजपा के राज में हमेशा झूठे वादे होते रहे हैं. आज खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में लोग परेशान हैं. युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. किसानों के खेत सूखे पड़े हैं. लोगों के पास काम धंधा नहीं है, फिर कैसा विकास है. लंबे समय से यहां भाजपा काबिज रही है, लेकिन कितना ध्यान दिया गया है यह बुंदेलखंड की तस्वीर खुद बयां कर रही है.

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ीं सारी योजनाएं

बुंदेलखंड को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार से बुंदेलखंड पैकेज जैसे भारी भरकम पैकेज मिला. लेकिन, उसका बंदरबांट ऐसा हुआ कि किसान पैकेज की ओर ताकते ही रह गए. बाद में पता चला कि बुंदेलखंड पैकेज की फाइलों में आग लग गई. जो बची वह दूसरी बार लगी आग में जल गई. इसी तरह नल जल योजना में लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच सका है. जहां पाइप लाइन बिछाई गई, वहां पानी नहीं पहुंचा. इसके अलावा एनटीपीसी प्रोजेक्ट भी अब तक आकार नहीं ले सका है.

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