
MP NEWS: खेती लाभ का धंधा बनेगी यह नारा सरकारों ने खूब लगाया, लेकिन मैहर जिले के किसानों ने इसे सच साबित कर दिखाया है. यहां के किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर फल सब्जियों का उत्पादन शुरू किया जिससे उन्हें मोटा मुनाफा हो रहा है. किसानों ने इस साल करीब 25 हजार एकड़ में कड़वे करेले की बाग तैयार की है. पिछले कुछ सालों से करेले की खेती कर किसान मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. मैहर में उत्पादित होने वाले करेले की सब्जी की डिमांड आसपास के जिलों में ही नहीं बल्कि तमाम राज्य भी करेले का आयात करते हैं.
मैहर के घुनवारा, बेरमा और इटमा गांव में खास तौर पर किसान करेले की सब्जी उगाते हैं. एक एकड़ में करीब सवा लाख से डेढ़ लाख रुपए कीमत की सब्जी तैयार होती है. इसके अलावा सब्जी बेचने के लिए उन्हें किसानों को मंडी अथवा बाजार में आने जाने की जरूरत नहीं पड़ती. उनके खेतों से ही तमाम व्यापारी खरीद कर सब्जियां ले जाते हैं.
क्यों है किसानों की पसंद?
मैहर के किसानों की पसंद करेले की खेती कैसे बनी? इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं. इनमें से सबसे प्रमुख बात यह है कि आज समूचा जिला आवारा जानवरों से परेशान है. ऐसे में अन्य तरह की सब्जियों को जानवर नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन करेले की तरफ कोई भी जानवर भटकता भी नहीं. कड़वाहट के कारण करेला खुद अपनी सुरक्षा कर लेता है, लिहाजा किसानों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती. इसके अलावा पक्षियों से भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता. करेले की फसल दोनों सीजन में आसानी से तैयार हो जाती है लिहाजा मैहर क्षेत्र के किसान इस फसल की ओर ही आकर्षित हो रहे हैं.
कभी भी रेट की समस्या नहीं
करेले की सब्जी का दाम आमतौर पर 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक रहता है. बरसात के सीजन में रेट 80 से 120 रुपए तक पहुंच जाता है लिहाजा किसान इसलिए भी झुकाव रखते हैं. मैहर जिले में लगातार करेले की खेती का रकबा बढ़ रहा है और किसानों की आय भी इसी प्रकार से बढ़ती जा रही है.