महासमुंद जिले में भू माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अब सरकारी जमीन को भी धोखाधड़ी से खरीद और बेच रहे हैं. ताजा मामला जिले के कौवाझर गांव का है, जहां मालगुजारी समाप्त होने के बाद सरकारी मद में आई 52 एकड़ भूमि को जालसाजी से दोबारा मालगुजारी के रिश्तेदारों के नाम दर्ज कर खरीदने-बेचने का खेल सामने आया है. इसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं.
कलेक्ट्रेट से की शिकायत
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में महासमुंद के विधायक पर भू माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की है. वहीं, विधायक आरोपों को गलत बताते हुए प्रशासन को कार्यवाही के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं और कलेक्टर जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं. दरअसल, कौवाझर गांव के सैकड़ों ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचकर जमकर नारेबाजी की और विधायक पर भूमाफियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया.
नेशनल हाईवे किनारे है गांव
ग्रामीणों ने बताया कि कौवाझर गांव NH-53 से सटा हुआ है, 150 से 200 साल पुराना गांव है. गांव से बाहर व निस्तारी जाने के लिए रास्ता नहीं है. जब भी प्रशासन से रास्ते की मांग की जाती है तो कुछ लोग तालाब को अपना बताकर विरोध करने लगते हैं.
कलेक्ट्रेट से मिलकर जानकारी लेने से पता चला कि मालगुजारी प्रथा समाप्त होने के बाद पूरी जमीन सरकारी खाते में आ गई, लेकिन मालगुजारी के रिश्तेवालों ने कूटरचना कर वह जमीन दोबारा अपने नाम करा ली. आरोप है कि जब भी लोग निस्तारी के लिए रास्ते की मांग करते हैं तो उसे अपना बताकर विरोध करते हैं. वह जमीन अब भूमाफियाओं से मिलकर बेच रहे हैं.
आरोप है कि कई बार शिकायत करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कलेक्ट्रेट पर आकर धरना देंगे. इस मामले में कलेक्टर का कहना है कि मामला संज्ञान में है. एक टीम गठित कर दी है, जांच में जो तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
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