Satna Hospital News: आमतौर पर सभी शासकीय कार्यालयों, अस्पतालों में महिला व पुरुष के अलग-अलग प्रसाधन बनाए जाते हैं लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय सतना (Satna Hospital) अपने अजीबोगरीब निर्णय को लेकर चर्चा में है. जिला अस्पताल प्रबंधन ने पुरुष सर्जिकल वार्ड का शौचालय बंद कर दिया है और यहां भर्ती होने वाले मरीजों को महिला प्रसाधन का उपयोग करने का निर्देश जारी कर दिया है. अस्पताल प्रबंधन के इस निर्णय से पुरुष मरीजों में नाराजगी है. एक वजह है कि उन्हें दूसरे वार्ड तक जाने के लिए कई लोगों का सहारा चाहिए होता है और दूसरी वजह यह है कि महिला वार्ड के शौचालय में भीड़ रहती है, जिससे उन्हें झेंपते हुए इंतजार करना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन अपनी मजबूरी गिनाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है जबकि यहां पर व्यवस्थाएं दुरुस्त रखना उनकी जवाबदेही है.
क्या है मामला?
जिला अस्पताल के महिला वार्ड नं. 5 में करीब 40 बेड हैं और इतने ही मरीज जमीनों पर लेटे रहते हैं. कुल मिलाकर यहां का शौचालय पहले से ही ओवर बर्डन में है अब नवीन व्यवस्था के अनुसार सर्जिकल वार्ड नं.01 के इतने ही मरीजों का बोझ शौचालय पर आ चुका है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा होगा. सर्जिकल वार्ड में अधिकांश वे मरीज भर्ती होते हैं जो एक्सीडेंट अथवा मारपीट में गंभीर रूप से घायल होते हैं जो खुद चल नहीं पाते उन्हें सहारा देकर ले जाना पड़ता है. जिला अस्पताल में न तो इतने व्हीलचेयर हैं और न ही उन्हें स्ट्रेचर से वहां तक ले जाने वाला होता है. यदि किसी मरीज का तीमारदार कमजोर है या अकेला है तब वह कैसे अपने परिवार के सदस्य को शौचालय तक ले जाता होगा परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है. मगर जिला अस्पताल प्रबंधन को ऐसी कोई दिक्कत महसूस नहीं होती शायद इसीलिए उन्होंने यह अजीबोगरीब व्यवस्था तय कर दी है.
परेशानी की वजह भी जान लीजिए
जिला अस्पताल के पुरुष सर्जिकल वार्ड के शौचालय को बंद करने की वजह प्रबंधन के मुताबिक पिछले छोर में चल रहा निर्माण कार्य है. कहा जाता है कि यहां काम कर रही ठेका कंपनी ने खुदाई की है जिससे शौचालय की ड्रेनेज लाइन जाम हो गई है. ऐसे में शौचालय का उपयोग करने पर वार्ड में दुर्गंध का माहौल निर्मित हो जाता है, यही वजह है कि व्यवस्था में परिवर्तन कर महिला वार्ड से जोड़ा गया है. अस्पताल प्रबंधन ने इस बात का आंकलन तो कर लिया लेकिन मरीजों की परेशानी को समझे बिना यह निर्णय लिया गया है यदि कंपनी को काम करना था तो उसे ड्रेनेज लाइन को बहाल रखते हुए ही निर्माण करना चाहिए था या फिर वार्ड के अंदर कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए थी.
क्या कहते हैं मरीज?
मरीज रामपाल कुशवाहा कहते हैं कि "मुझे चलने में तकलीफ है शौचालय जाने के लिए दो लोगों का सहारा लेना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन ने मेल वार्ड का शौचालय बंद कर दिया है अब फीमेल वार्ड में जाना पड़ता है जिससे काफी दिक्कत हो रही है." वहीं दिवाकर सिंह बताते हैं कि "महिलाओं के वार्ड में शौचालय जाने में कई तरह की परेशानी होती है. हमारी व्यवस्थाओं पर अस्पताल प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. महिला वार्ड में पहले से ही बोझ है और अब पुरुष भी वहीं जा रहे हैं जिससे परेशानी और बढ़ गई है."
जिम्मेदारों का क्या कहना है?
प्रभारी आरएमओ जिला अस्पताल सतना अमितेश खरे ने कहा कि "हां! वार्ड नं.01 के शौचालय को बंद करना पड़ा है क्योंकि वार्ड के पीछे कुछ निर्माण कार्य चल रहे हैं जिसके चलते लाइन जाम हो गई है. दो-चार दिन के अंदर जब निर्माण कार्य पूरा होगा तब शौचालय की व्यवस्था बहाल होगी."
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