मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में हाथियों का कुनबा एक बार फिर बढ़ गया है. हाल ही में सतपुड़ा नेशनल पार्क से दो हाथियों को लाने के बाद एक बार फिर से कूनो में दो हाथियों को लाया गया है. इस बार ये हाथी कान्हा नेशनल पार्क से लाए गए हैं. इस चारों हाथियों को बाड़े में बंद चीतो की तेंदुओं से सुरक्षा के लिए लाया गया है. इसके साथ ही चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद उन पर निगरानी रखने का जिम्मा भी इनपर होगा.
बीते महीने कॉलर आईडी खराब होने के चलते जंगल में 21 दिनों तक लापता हुई मादा चीता निरवा को खोजने के लिए दोनों हाथी बुलाए गए थे. जिसके बाद कूनो के घने जंगल में दो हाथियों पर कुनो की टीम और दो हाथियों पर डॉक्टरों की टीम निरवा को ट्रेंकुलाइज करने के लिए घूम रही थी. सेटेलाइट लोकेशन की मदद से डॉक्टरों ने निरवा को खोजा और ट्रेंकुलाइज करते हुए बाड़े में शिफ्ट किया था. कुनो नेशनल पार्क में 6 चीतों की मौत के बाद खुले जंगल में छोड़े गए चीतों को एक बार फिर से बाड़े में बंद किया गया है. फिलहाल एक नन्हें शावक और 14 चीते बड़े बाड़े में फिर से शिफ्ट हो गए हैं.
दोनों हाथियों को माधव नेशनल पार्क में किया जा सकता है शिफ्ट
कूनो प्रशासन ने बताया कि कान्हा नेशनल पार्क से कूनो में लाए गए दोनों हाथियों को नामीबिया से लाए गए चीतों की सुरक्षा और निगरानी के लिए लाया गया है. कूनो नेशनल पार्क में तेदुओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है. लेकिन जरूरत पड़ने पर दोनों हाथियों को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगर की तलाश के लिए भी उपयोग किया जाएगा.
हाल ही में सिद्धनाथ और लक्ष्मी को लाया गया है
कूनो नेशनल पार्क में हाल ही में 54 साल के हाथी सिद्धनाथ और 52 साल की हथनी लक्ष्मी को सतपुड़ा नेशनल पार्क से लाया गया था. हाथियों को विशेष तौर पर चीतों के लिए बनाए गए बाड़े में छुपे हुए खूंखार तेंदुओं को खोज कर उन्हें निकालने के लिए लाया गया था. पिछले साल 17 सितंबर को कुनो नेशनल पार्क में नामिबिया से आने वाले 8 चीतों के आने के पहले ही सिद्धनाथ और लक्ष्मी की मदद से कुनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने तेंदुओं को बाड़े से बाहर निकाला था. जिसके बाद दोनों नर मादा हाथी कूनो में ही रहने लगे.