
Madhya Pradesh Polirtics: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर-चंबल अंचल ( Gwalior-Chambal Region) में भाजपा (BJP) के दो दिग्गजों के बीच गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की ओर से कलेक्ट्रेट ऑडिटोरियम में सोमवार को विकास कार्यों की समीक्षा बैठक से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति में सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई. दरअसल, बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar), मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, कांग्रेस राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, महापौर शोभा सिकरवार और कांग्रेस विधायक सुरेश राजे मौजूद रहे. लेकिन इस बैठक में भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाहा की गैरहाजिरी से गुटबाजी को हवा मिल रही है.
दरअसल, कुशवाहा को स्पीकर और अंचल के कद्दावर नेता नरेन्द्र तोमर का ख़ास माना जाता है. इसलिए इसे तोमर और सिंधिया के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. इसके अलावा, भोपाल में अचानक सीएम डॉ. मोहन यादव का स्पीकर नरेन्द्र सिंह तोमर के बंगले पर पहुंचकर एकांत मन्त्रना करने के घटनाक्रम क़ो इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
डेढ़ साल बाद वापसी
करीब डेढ़ साल बाद सिंधिया कलेक्ट्रेट की बैठक में दिखे थे. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें ग्वालियर-चंबल इलाके में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. वजह साफ है कि पिछली बार जब सिंधिया ऐसी बैठक में पहुंचे थे, तो स्थानीय सांसद ने विरोध किया था कि “वे ग्वालियर के सांसद नहीं हैं, गुना-शिवपुरी के सांसद हैं.” इसके बाद से सिंधिया ने ग्वालियर से दूरी बना ली थी.
“नर्क” वाले बयान से बनी पृष्ठभूमि
बीते दिनों ग्वालियर की टूटी सड़कों और सीवरेज ने सरकार की खूब किरकिरी कराई. सिंधिया खेमे के करीबी ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने तो कैबिनेट बैठक में ग्वालियर को “नर्क” बता दिया था. मुख्यमंत्री ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की, लेकिन तोमर डटे रहे. बाद में प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने भी तोमर का समर्थन किया था.
मुरैना में शक्ति प्रदर्शन
कलेक्ट्रेट की इस हलचल से दो दिन पहले ही सिंधिया का मुरैना में भव्य स्वागत हुआ था. यह वही इलाका है, जहां विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का दबदबा माना जाता है, लेकिन कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना उनके खेमे में नहीं हैं. उधर, ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाहा भोपाल में ही डेरा डालकर बैठे बताए जाते हैं और मुख्यमंत्री ने उन्हें समझाइश दी है.
इसलिए उठ रहे हैं सवाल
सिंधिया का कांग्रेस में अंचल में बड़ा और इकतरफा रसूख था. उनके बिना यहां सत्ता हो या संगठन, पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन उनके समर्थक भाजपा में अपने क़ो बंधा हुआ पा रहे हैं, जो इनकी आदत् नहीं रही. यही बजह है कि उनके समर्थक अपनी पीड़ा का इजहार करते हैं. इसकी शुरुआत दो माह पहले तब हुई, ज़ब सिंधिया मुरार गर्ल्स कॉलेज पहुंचे, तो वहां मंच से प्रद्यु्म्न तोमर ने बोला था महाराज ग्वालियर में विकास का पहिया रुक गया है. आप ही नेतृत्व संभालो, ताकि यह आगे बढ़ सकें. उनके समर्थक विधायक मोहन सिंह राठौड़ ने जल जीवन मिशन क़ो लेकर सरकार के दावे क़ो यह कहकर हवा में उड़ा दिया कि उनके इलाके में इस योजना में कोई काम नहीं हुआ. सारे दावे झूठे है. इसके बाद कैबिनेट की बैठक के बाद ऊर्जा मंत्री का ग्वालियर क़ो नर्क बताना फिर सिंधिया का चार दिन का अंचल का दौरा और मुरैना में भाजपा के शक्तिशाली नेता नरेन्द्र तोमर के घर जाकर शक्ति प्रदर्शन कर यह कहना कि पिछले विधानसभा चुनाव में आधी सीटें मिली. यह सीधा तोमर पर इशारा था और इसके बाद प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में बैठक और उसमें सांसद की गैर मौजूदगी यह बताती है कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
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कांग्रेस ने कसा तंज
कांग्रेस इस पर तंज कस रही है. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह कहते है कि भाजपा गुटबाजी के दलदल में फंसी हुई है. सिंधिया वहां अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इस संघर्ष में अंचल के विकास का पहिया उल्टा घूम रहा है. खुद सिंधिया और मोहन सरकार के ऊर्जा मंत्री कह चुके हैं कि ग्वालियर की हालत बदहाल है. हालांकि भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह पार्टी में किसी गुटवाजी की बात क़ो ख़ारिज करते हैं. उनका कहना है कि यह अब मीडिया में है. उन्होंने कहा कि दोनों के समर्थकों के बीच सोशल मीडिया पर इशारों-इशारों में घमासान मचा है.
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