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CG का ‘बिग बॉस’: सलमान नहीं, पूर्व CM के बेटे पर करोड़ों के शराब घोटाले का आरोप; 'बिट्टू' ऐसे चलाता सिंडिकेट

Chhattisgarh Liquor Policy Scam Case: छत्तीसगढ़ में कथित शराब सिंडिकेट मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया है. ईडी का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने कथित तौर पर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम संभाली और अपने व्यवसायिक उद्यमों के लिए इसका उपयोग किया.

CG का ‘बिग बॉस’: सलमान नहीं, पूर्व CM के बेटे पर करोड़ों के शराब घोटाले का आरोप; 'बिट्टू' ऐसे चलाता सिंडिकेट
प्रतीकात्मक तस्वीर.

छत्तीसगढ़ में “बिग बॉस” चकाचौंध भरा टीवी शो नहीं, जिसे बॉलीवुड स्टार सलमान खान होस्ट करते हों, बल्कि यहां का “बिग बॉस” कथित तौर पर एक विशाल शराब सिंडिकेट था और इसका सूत्रधार कोई और नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल थे. अगर प्रवर्तन निदेशालय की मानें तो जो कुछ सामने आया वह रियलिटी शो नहीं, बल्कि राजनीतिक अंधेरे में बुना गया हजारों करोड़ का घोटाला था.

चैतन्य बघेल इस समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू, EOW) भी उन्हें अपनी कस्टडी में लेने की तैयारी कर रही है. 15 सितंबर को ईडी ने विशेष अदालत में 5वां पूरक आरोपपत्र दाखिल किया. इस चार्जशीट में खुलासा हुआ कि चैतन्य ने अकेले ही हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम संभाली.

ग्रुप के जरिए लेनदेन, चैतन्य बघेल थे 'बिट्टू'

जांच में कथित तौर पर एक वॉट्सऐप ग्रुप का खुलासा हुआ, जिसका नाम ही “बिग बॉस” था. पूरा सिंडिकेट इसी ग्रुप से चलता था. इस ग्रुप के जरिये सैकड़ों करोड़ के वित्तीय लेन-देन कथित तौर पर तय किए जाते थे. इसमें चैतन्य बघेल, जिन्हें “बिट्टू” नाम से सेव किया गया था, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी अधिकारी सौम्या चौरसिया और व्यापारी पुष्पक शामिल थे.

ग्रुप में बनती थी रणनीति

आरोपपत्र में इन चैट्स के स्क्रीनशॉट भी जोड़े गए हैं, जिसमें पूरे तफसील से दर्ज है कि “बिट्टू” ने कब किसे फोन किया, कितनी देर बात हुई और किसे कितना पैसा कहां भेजना है. यह ग्रुप राज्य की शराब व्यवस्था का समानांतर कमांड सेंटर बन गया था, जहां नकद के रास्ते, नकली होलोग्राम और कमीशन बांटने की रणनीति तय होती थी. इसके ग्रुप के कई चैट्स एनडीटीवी के पास मौजूद हैं.

अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल फोन से मिले साक्ष्यों ने केस को और पुख्ता किया. अनवर के फोन में चैतन्य का नंबर “बिट्टू” के नाम से सेव था. चैट्स में भारी नकद लेन-देन, नकली होलोग्राम बनाने और काले धन के बंटवारे की बातें दर्ज थीं.

अकेले चैतन्य ने कमाए 200 करोड़, 850 करोड़ कांग्रेस को भेजे

ईडी का कहना है कि चैतन्य ने अकेले कम से कम 200 करोड़ रुपये कमाए, जबकि 850 करोड़ रुपये तत्कालीन कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को भेजे गए. एजेंसी का दावा है कि यह पूरा ऑपरेशन एक सैन्य अनुशासन की तरह चलता था, जिसमें तय होता था कि किसे पैसा मिलेगा, कौन-सा ठेकेदार भुगतान पाएगा और कितनी रकम सफेद की जाएगी.

भूपेश बघेल के करीबी ने किया था सनसनीखेज खुलासा

सबसे सनसनीखेज बयान शराब कारोबारी लक्ष्मीनारायण उर्फ पप्पू बंसल का आया, जो भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. पूछताछ में बंसल ने माना कि उन्होंने और चैतन्य ने मिलकर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक नकद को संभाला. बंसल ने खुलासा किया कि यह पैसा अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा और फिर कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल और केके श्रीवास्तव तक पहुंचाया गया. सिर्फ तीन महीने में ही बंसल ने 136 करोड़ रुपये को इधर से उधर किया. ईडी अधिकारियों का कहना है कि बंसल की गवाही बताती है कि सिंडिकेट किस तरह राजनीतिक ढांचे में गहराई से पैठ बना चुका था.

रियल एस्टेट में लगाया पैसा, काला धन छिपाने की थी रणनीति

चार्जशीट यह भी दिखाती है कि घोटाले का पैसा किस तरह रियल एस्टेट में लगाया गया. चैतन्य की परियोजनाएं विठ्ठल ग्रीन और बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग का अड्डा थीं. आधिकारिक रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ रुपये खर्च दिखाए गए, जबकि जांचकर्ताओं के अनुसार, असली लागत 13 से 15 करोड़ थी, जिसमें से 4.2 करोड़ नकद ठेकेदारों को दिए गए. 2020 में एक ही दिन में शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों ने विठ्ठल ग्रीन में 19 फ्लैट खरीदे. ईडी के मुताबिक यह काले धन को छिपाने की रणनीति थी.

भिलाई के नामी ज्वैलर्स भी शामिल

भिलाई के नामी ज्वैलर्स के नाम भी सामने आए. आरोप है कि उन्होंने बघेल की कंपनियों को 5 करोड़ रुपये “ऋण” दिया और बाद में मात्र 80 लाख रुपये में छह जमीनें खरीदी गईं. ईडी ने इसे क्लासिक मनी लॉन्ड्रिंग का उदाहरण बताया- नकद अंदर, ज़मीन बाहर, सब कुछ वैध व्यापार के नाम पर.

चैतन्य के वकील ने क्या कहा

हालांकि चैतन्य के वकील फैसल रिजवी ने इस केस को राजनीति से प्रेरित बताया है. उनका कहना है कि गिरफ्तारी अवैध है और केवल पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जो खुद फरार है और जिसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी है. रिजवी ने कहा कि चैतन्य ने हमेशा जांच में सहयोग किया, सभी दस्तावेज सौंपे, फिर भी उन्हें कभी पूछताछ के लिए तलब नहीं किया गया और अचानक गिरफ्तार कर लिया गया. उनके अनुसार यह सब पूर्व मुख्यमंत्री को निशाना बनाने के लिए किया गया है.

2019 में होटल में बुलाई थी बैठक

शराब घोटाले की जड़ें फरवरी 2019 तक जाती हैं, जब अनवर ढेबर ने रायपुर के एक होटल में बैठक बुलाई. इसमें छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी के नवीन केडिया, भाटिया वाइंस के प्रिंस भाटिया और वेलकम डिस्टिलरी के राजेंद्र जायसवाल सहित कई डिस्टिलर मौजूद थे. साथ ही एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह जैसे अफसर भी शामिल थे. बैठक में तय हुआ कि हर शराब केस पर कमीशन लिया जाएगा और बदले में डिस्टिलरी ऑपरेटरों को रेट बढ़ाकर दिए जाएंगे. जल्द ही सिंडिकेट का काम तीन हिस्सों में बंट गया. पहला, हर केस पर 75 रुपये का कमीशन, जिससे 300 करोड़ से अधिक जुटाए गए.

दूसरा, एक समानांतर शराब बाजार, जिसमें डुप्लीकेट होलोग्राम से हजारों केस सरकारी गोदामों से बाहर बेचे गए. 2022–23 में ही 400 ट्रक अवैध शराब हर महीने चली और प्रति केस 3000 रुपये का मुनाफा कमाया गया. तीसरा हिस्सा था फ़ॉरेन लिकर लाइसेंस FL-10A, जिसे चुनिंदा कंपनियों को बांटकर प्रीमियम ब्रांड ऊंचे दाम पर बेचने का अधिकार मिला और इससे 211 करोड़ रुपये की कमाई हुई.

एजेंसी के अनुसार, तत्कालीन मुख्य सचिव रहे रिटायर्ड आईएएस विवेक ढांड भी सिर्फ मूक दर्शक नहीं बल्कि सीधे लाभार्थी थे. ईडी के शब्दों में, आबकारी विभाग को “हाई-परफॉरमेंस करप्शन इंजन” में बदल दिया गया, जिसे डर, फायदे और अरबों की दौलत से चलाया जाता था.

घोटाले का पैमाना चौंकाने वाला है. ईडी का दावा है कि 2019 से 2022 के बीच ही कम से कम 1392 करोड़ रुपये कांग्रेस नेताओं और उनके सहयोगियों तक पहुंचे. चैतन्य की कथित भूमिका बतौर “बिग बॉस” ही इस गिरफ्तारी को विस्फोटक बनाती है. उनकी रियल एस्टेट परियोजनाएँ, वॉट्सऐप चैट्स, कैश हैंडलर्स की गवाही और नकली होलोग्राम की कड़ियां मिलकर एक भयावह तस्वीर पेश करती हैं. एजेंसी का कहना है कि उनके समन्वय के बिना यह सिंडिकेट इतने बड़े स्तर पर चल ही नहीं सकता था.

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