Mahakal temple Ujjain dispute: उज्जैन के महाकाल मंदिर से एक बड़ी खबर सामने आई है. मंदिर के पुजारी, पुरोहित और कर्मचारियों की नौकरी पर सवाल खड़े हो गए हैं. एक याचिकाकर्ता ने उनकी नियुक्ति को अवैध बताया है. दरअसल इस मामले में कोर्ट ने कलेक्टर से तीन महीने में जवाब मांगा है. फ्रीगंज की रहने वाली सारिका गुरु ने 16 जून, 2025 को इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने इसमें महाकाल मंदिर के 40 मंदिरों के पुजारियों और 300 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध बताया है. उन्होंने पूछा कि ये नियुक्तियां किस आधार पर की गईं हैं.
RTI में नहीं मिला कोई जवाब
सारिका गुरु ने NDTV को बताया कि मंदिर समिति से आरटीआई में पुजारी पुरोहित और कर्मचारियों की नियुक्ति के संबध में दस्तावेज मांगे गए थे लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. मंदिर समिति ने गोपनीय दस्तावेज का हवाला देकर किसी भी प्रकार के दस्तावेज देने से इंकार कर दिया था. राज्य सूचना आयोग के दखल के बाद भी मंदिर समिति ने कोई जानकारी नहीं दी.
याचिका में इन बातों पर उठाए गए सवाल
19 मंदिरों में एक पुजारी- सारिका गुरु ने सवाल उठाया है कि एक ही पुजारी 19 मंदिरों का काम कैसे देख सकता है.
दस्तावेज नहीं दिए गए- सारिका ने आरटीआई से नियुक्ति के दस्तावेज मांगे थे. मंदिर समिति ने 'गोपनीय दस्तावेज' बताकर जानकारी देने से मना कर दिया था.
विज्ञापन जारी नहीं हुआ- याचिकाकर्ता का आरोप है कि मंदिर समिति ने बिना विज्ञापन जारी किए अपनों को नौकरी दी है.
'पिटिशन बाज' कहा गया- अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने इस दंपति को 'पिटिशन बाज' बताया है. उन्होंने कहा कि यह दंपत्ति पहले भी ऐसी याचिकाएं लगा चुके हैं.
कौन-कौन हैं निशाने पर: मंदिर के 16 पुजारी, 22 पुरोहित और 300 से ज़्यादा कर्मचारी इस याचिका के दायरे में आ गए हैं.
इस मामले में कोर्ट ने 1 सितंबर को सुनवाई की. कोर्ट ने कलेक्टर से तीन महीने के अंदर जवाब देने को कहा है. अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय में दायर पिटिशन के विषय में श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति अपने स्तर पर जवाब प्रस्तुत करेगी. अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर क्या जवाब देता है.
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