Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी 2023 विधानसभा चुनाव में जीत का हैट्रिक से भले ही चूक गए, लेकिन उनका दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उनके नेतृत्व में लड़ी लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस हार की हैट्रिक लगा चुकी है. पहले विधानसभा 2023 में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेश के 29 के 29 लोकसभा सीट गंवा बैठी.
पटवारी के जरिए प्रदेश के ओबीसी वर्ग के वोटरों को साधने में बार- बार फेल हुई कांग्रेस
सवाल है कि जीतू पटवारी के जरिए मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग के वोटरों को साधने की कवायद में जुटी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी के नेतृत्व में लगातार तीन बार फेल हुई है, बावजूद इसके आलाकमान ने पटवारी को पीपीसी अध्यक्ष पद पर बरकरार रखा है.आगामी विधानसभा उपचुनाव में भी पटवारी को बागडोर सौंपकर पार्टी जीत का सपना संजोए हुए है.
प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी तक तेजी से पहुंचे पटवारी
47 वर्ष के जीतू पटवारी के हाथ में प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने वाली कांग्रेस पार्टी आगामी उपचुनाव में क्या गुल खिलाते हैं, यह तो वक्त बताएगा,लेकिन प्रदेश युवा कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने का सफर तेजी से तय करने वाले जीतू पटवारी का कांग्रेस का राजनीतिक भविष्य आगामी उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा.
अपनी मुखरता और हमलावर रूख के लिए मशूहर हैं प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी
राऊ क्षेत्र से दो बार विधायक चुने गए जीतू पटवारी करीब 16 महीने की पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रहे हैं. अपनी मुखरता और हमलावर रूख के लिए मशूहर पटवारी ने अपने समर्थकों का आधार भी पूरे प्रदेश में बनाया है.खाती समाज से ताल्लुक रखने वाले पटवारी के समर्थक दावा करते हैं कि समाज के वोट प्रदेश की 45 फीसदी सीटों पर असर करते हैं.
11 जिलों में है खाती समाज के लोगों का प्रभाव, लेकिन जीत में नहीं बदली हार
गौरतलब है इंदौर के साथ आष्टा, सीहोर, राजगढ़, रतलाम, शाजापुर, धार, विदिशा, उज्जैन, देवास, ब्यावरा जैसे क्षेत्रों में खाती समाज के वोटों का बड़ा असर है. यही कारण है कि जब पिछले विधानसभा चुनाव में पटवारी की हार हुई, तो समर्थको को यकीन नहीं हुआ. समर्थक अब भी मानते हैं कि हार के पीछे का सच कुछ और है.
भारत जोड़ों यात्रा के प्रभारी रहे जीतू पटवारी राहुल गांधी के बेहद हैं करीबी
इंदौर के शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से पढ़ाई के साथ राजनीतिक का ककहरा सीखने वाले जीतू पटवारी बीते समय से ही दिल्ली के करीबी माने जाते हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का उन्हें क्षेत्र में प्रभारी बनाया गया. जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा निकाली गई जन आक्रोश यात्रा के भी प्रभारी रहे.
बुधनी और विजयनगर उपचुनाव में हार को टालने की कोशिश करेंगे पटवारी
अपने 15 वर्ष के राजनीतिक सफर में जीतू पटवारी फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं, लेकिन हार की हैट्रिक लगाकर पटवारी का मनोबल गिरा हुआ है. जीतू पटवारी बुधनी और विजयनगर विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंककर हार को जीत में बदलने की कोशिश करेंगे वरना हारे हुए मोहरे को बदलने से कांग्रेस हाईकमान नहीं चूकेगी.
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