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MP: भस्म आरती में बाबा महाकाल ने दिए श्री कृष्ण के रूप में दर्शन, देखकर आप भी हो जाएंगे मंत्रमुग्ध

MP News: मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल ने भस्म आरती के बाद श्रीकृष्ण के अवतार में दर्शन दिए. 

MP: भस्म आरती में बाबा महाकाल ने दिए श्री कृष्ण के रूप में दर्शन, देखकर आप भी हो जाएंगे मंत्रमुग्ध

Madhya Pradesh News: जन्माष्टमी पर्व की शुरूआत सोमवार तड़के महाकाल मंदिर से हुई. यहां भस्मारती के बाद बाबा का श्रीकृष्ण स्वरूप में श्रंगार किया गया. जिससे दर्शनार्थियो को एक साथ हरि और हर के दर्शन हो गए. वहीं सूरत से आए कारीगरों ने नंदी हाल में भी फूलों से कृष्ण भगवान की छवि बनाई . जिसे देख दर्शनार्थी अभिभूत हो गए. 

श्रद्धालुओं की जुटी भीड़

उज्जैन में किसी भी पर्व की शुरूआत विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर से होती है. इसी के चलते सोमवार तड़के भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल को श्री कृष्ण भगवान के रूप में सजाया गया. वहीं सूरत से छह सदस्यों के साथ पहुंचे किशन भाई कपाडिय़ा ने महाकाल मंदिर के गर्भगृह में फूलों का सिंहासन, दीवारों पर फूलों से बनाई मटकी भी लगाई. नंदी हॉल में फूलों से भगवान श्री कृष्ण के दो स्वरूप के बनाए. नतीजतन भस्म आरती में पहुंचे श्रद्धालु सजावट देख प्रसन्न हो गए.

चाइना के फूलों से सजा दरबार

खास बात है कि महाकाल मंदिर जन्माष्टमी हर वर्ष धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन इस बार सीएम डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार श्री कृष्ण जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाने की तैयारी एक सप्ताह पहले ही शुरु हो गई थी. यही वजह है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने सूरत से किशन भाई को बुलाया.

छह सदस्यीय टीम के साथ आए किशन सजावट के लिए गुलाब, पिंक गुलाब, अच्छी किस्म की सेंवती, जिप्सी, कामिनी, एरिका पान, कमल सहित क़रीब 709 किलो फूल लाए. साथ ही चाइनीज फूल और मोर पंख से भी सजावट की. सहायक प्रशासक जूनवाल ने बताया कि इस बार श्री कृष्ण जन्म उत्सव पर बाबा महाकाल की छठी सवारी भी निकलेगी.

सोमवार को सवारी होने से दोहरे पर्व के लिए सूरत निवासी किशन भाई से साज-सज्जा के लिए बुलाया. आज महाकाल के आंगन में हरि और हर के इस पर्व का उल्लास दिखाई देगा. 

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भगवान के ससुराल में पर्व

श्री कृष्ण भगवान से जुड़ी उज्जैन में कई कथा प्रचलित है  गुरु संदीपनी आश्रम उनकी शिक्षा स्थली मानी जाती है। वहीं बताया जाता है कि महिदपुर के  स्वर्णागिरी पर्वत पर श्री कृष्ण सुदामा के साथ लकड़ियां  बिनने गए थे. नारायण धाम और गोपाल मंदिर से भी उनकी कथाएं जुड़ी है . यही नहीं एक और मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान की एक पत्नी उज्जेयिनी की राजकुमारी मित्रवृंदा भी इसलिए भैरवगड़ रोड स्थित मित्रवृंदा धाम में भी जन्माष्टमी का पर विशेष रूप से मनाया जाएगा.  

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