Jabalpur New Name: पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश के कई शहरों के नाम बदले गए. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहे और कुछ कस्बों के नाम में बदलाव आया है. इस बीच अब प्रदेश के महत्वपूर्ण शहर जबलपुर (Jabalpur) का नाम भी बदलने की कवायद शुरू हो गई है. दरअसल, जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह (Jabalpur Mayor) ने कहा कि जबलपुर को 'जाबालिपुरम' (Jabalipuram) के नाम से जाना जाए, इसके लिए संतों की अगुवाई में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) से जल्द ही भेंट कर जबलपुर शहर का नाम जाबालिपुरम घोषित करने का आग्रह करेंगे.
जाबालिपुरम के नाम से जाना जाए जबलपुर
नगर निगम जबलपुर की मेयर काउंसिल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि जबलपुर का नाम अब जाबालिपुरम किया जाना चाहिए. इसकी घोषणा महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के द्वारा की गई. बैठक में उन्होंने कहा कि जबलपुर का कोई अर्थ नहीं है और यह भूमि मां नर्मदा के तट पर जाबालि ऋषि की तपोभूमि है. इसलिए जबलपुर का नाम जाबालिपुरम के नाम से जाना जाए. इसके लिए उन्होंने वर्ष 2007 की तत्कालीन महापौर सुशीला सिंह के कार्यकाल में पार्षद रहते लिखित रूप से प्रस्ताव दिया था. जिस प्रस्ताव पर तत्कालीन एमआईसी ने स्वीकृति प्रदान की थी. अब उसी को आधार मानकर संतों की अगुवाई में महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू भोपाल जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि जबलपुर शहर का नाम जाबालि ऋषि के नाम से जाबालिपुरम घोषित किया जाए.
कौन थे जाबालि ऋषि
जबलपुर की पहचान महर्षि जाबालि के नाम से ही रही है. उनका और इस शहर का जिक्र रामायण के साथ ही नौ पुराणों और महर्षि जाबालि द्वारा रचित जाबालदर्शन उपनिषद, जाबालोपनिषद् और जाबाल उपनिषदों में मिलता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम को वनवास छोड़ अयोध्या लौटने का आग्रह करने उनके भाई भरत के साथ जाबालि ऋषि भी गए थे. अयोध्या राजपरिवार में जाबालि ऋषि राजा दशरथ के मंत्री थे. जबलपुर उनकी तपोभूमि थी.
जबलपुर रेलवे स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर दूर जिल्हेरी घाट पर मां नर्मदा के किनारे स्थित प्रेमानंद आश्रम है. यही स्थान ऋषि जाबालि की तपोभूमि है. यहां एक शिवलिंग के साथ एक कुटिया बनी हुई है. यह कुटिया वही स्थल है, जो ऋषि जाबालि की तपोभूमि रही है.
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