
The Court gave order: जबलपुर में कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश केएन सिंह की अदालत ने पति-पत्नी के बीच अलगाव के बाद दायर परिवाद में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. जिसमें उन्होंने साफ किया है कि पति के साथ रहने से इनकार करने वाली पत्नी भरण-पोषण की पात्र नहीं होती है. महिला की दायर परिवाद को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है.
यह है पूरा मामला
दरअसल जबलपुर (Jabalpur) के रहने वाले सचिन की ओर से अधिवक्ता जीएस ठाकुर व अरूण कुमार भगत ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि सचिन की पत्नी 15 दिसंबर 2020 से ससुराल छोड़ कर मायके में रहने लगी है. यहां तक कि धारा-9 हिन्दु विवाह अधिनियम (Hindu Marriage act) के प्रकरण का नोटिस मिलने के बाद उसने धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता का प्रकरण प्रस्तुत कर भरण-पोषण की मांग कर दी. इतना ही नहीं 26 नवंबर, 2020 को दहेज प्रताड़ना (Dowry Harassment) का मामला भी थाना आधारताल में पंजीबद्व करा दिया . साथ ही 12 लाख रुपए का चेक अनादारित होने का परिवाद भी प्रस्तुत किया है. कोर्ट ने इन दलीलों को ध्यान से सुना और एक महत्वपूर्ण फैसला सुना दिया.
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ये भी बताया
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि गया कि पत्नी ने अपने न्यायालयीन कथनों में साफ किया है कि उसे अपने पति के साथ नहीं रहना है. इन तर्को और प्रस्तुत किए गए न्यायदृष्टांत से सहमत होकर अदालत ने पत्नि का भरण पोषण का आवेदन निरस्त कर दिया है.
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