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This Article is From Feb 18, 2024

Jabalpur: शिक्षक-कर्मचारियों को 3 महीने से नहीं मिला वेतन, उधारी से चल रहा हॉस्टल के बच्चों का दाना-पानी

Jabalpur News: पिछले कई दिनों से आदिवासी क्षेत्र कुंडम के हॉस्टल में रहने वाले 200 छात्रावासी बच्चों को मिलने वाली दाल रोटी भी किराना और सब्जी वाले की मेहरवानी पर चल रही है. हालांकि अब ये दुकानदार उधारी देने में आनाकानी करनी शुरू कर दी है. 

Jabalpur: शिक्षक-कर्मचारियों को 3 महीने से नहीं मिला वेतन, उधारी से चल रहा हॉस्टल के बच्चों का दाना-पानी

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के 70 अधिकारी-कर्मचारियों के साथ ही अनुदान प्राप्त 500 शिक्षकों, 70 कम्प्यूटर ऑपरेटरों को साढ़े तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है. साथ ही जिले के शिक्षकों को भी साढ़े तीन महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. इतना ही नहीं पिछले कई दिनों से आदिवासी क्षेत्र कुंडम के हॉस्टल में रहने वाले 200 छात्रावासी बच्चों को मिलने वाली दाल रोटी भी किराना और सब्जी वाले की मेहरवानी पर चल रही है. पैसों की किल्लत की वजह से अब इन बच्चों के थाली में रोटियों की संख्या घटकर आधी हो चुकी है. दरअसल, साढ़े तीन महीने से छात्रावास की पूरी खाद्य सामग्री उधारी पर ली जा रही है. वहीं अब दुकानदारों ने उधारी देने में भी आनाकानी करनी शुरू कर दी है. 

क्या है पूरा मामला

जिला शिक्षा अधिकारी का डीडीओ भोपाल से लॉक कर दिया गया है. दरअसल, ये कदम हाई कोर्ट के एक अवमानना मामले में पूर्व डीईओ एसके नेमा को दोषी पाने के बाद लिया गया. बता दें कि एसके नेमा पर विभागीय जांच भी बैठाई गई थी. इस जांच में वो दोषी पाए गए थे. जिसके बाद 21 नवंबर, 23 को कोष व लेखा विभाग के संचालक भोपाल द्वारा डीडीओ लॉक कर दिया गया था जो अभी भी अनलॉक नहीं हो सका है. 

किसी का दोष सब को सजा 

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा कि एसके नेमा द्वारा की गई गलती की सजा सभी लोग भुगत रहे है. उन्होंने आगे कहा कि जल्द परिस्थितियां सामान्य नहीं हुईं तो हालात और बिगड़ सकते हैं. 

बता दें कि जिला शिक्षा अधिकारी ने लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त को पत्र लिखकर डीडीओ को अनलॉक करने की गुहार लगाई है.

कौन समझेगा छोटे कर्मचारियों का दर्द?

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में काम कर रहे चपरासी,  तृतीय श्रेणी के क्लर्क और अन्य छोटे कर्मचारियों ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मकान की किस्त, बच्चों की फीस, मां-बाप का इलाज करने के लिए वेतन का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें नहीं मालूम कि कब वेतन मिलेगा और कब तक वो अपने कर्ज की EMI चुका पाएंगे.

वहीं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों ने बताया कि बैंक वाले मानने को भी तैयार नहीं है कि उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है. 3 महीने तक मकान की किस्त न चुकाने के कारण अकाउंट को एनपीए करने की बात कर रहे हैं.

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