INSET-3DS Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को एक बार फिर इतिहास रच दिया. चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद इसरो ने मौसम और भूगौलिक स्थिति की सटीक जानकारी के लिए सैटेलाइट INSAT-3DS को शनिवार को लॉन्च किया. जानकारी के अनुसार इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शनिवार को शाम 5.30 बजे लॉन्च किया गया. यह सैटेलाइट GSLV Mk II रॉकेट से लॉन्च किया गया जो उड़ान भरने के लगभग 20 मिनट बाद जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में तैनात हो गया.
प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाएगा INSAT-3DS
इनसेट-3DS की मदद से प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा. इस सैटेलाइट का वजन 2274 किलोग्राम है और इसका उपयोग अर्थ साइंस, मौसम विज्ञान, सर्च एंड रेस्क्यू और ओशन टेक्नोलॉजी को सेवा प्रदान करने के लिए किया जाएगा. इसका उपयोग बादल, कोहरे, वर्षा, बर्फ, आग, धुआं, भूमि और समंदरों की गहराई का शोध करने के लिए भी किया जाएगा. इनसेट-3DS सैटेलाइट की सफलता से भारत को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. इस सैटेलाइट के माध्यम से मौसम से जुड़ी जानकारी हासिल करने और भूमि संरक्षण के क्षेत्र में सुधार करने में भी मदद होगी.
#WATCH | Andhra Pradesh: ISRO chief S Somanath and other ISRO scientists congratulate each other after the successful launch of INSAT-3DS
— ANI (@ANI) February 17, 2024
(Source -ISRO) pic.twitter.com/DcdTmig7YV
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वर्तमान में INSET-3D और INSET-3DR से मिलती है मौसम की जानकारी
वर्तमान में मौसम संबंधी उपग्रह INSAT-3D और INSAT-3DR की सहायता से मौसम की जानकारी प्राप्त की जाती है. INSAT-3D को 26 जुलाई 2013 को और INSAT-3DR को 08 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था. वर्तमान में प्रत्येक INSAT-3D और INSAT-3DR IMAGER पेलोड से प्रतिदिन 48 सैटेलाइट पास प्राप्त किए जाते हैं. इसका उपयोग स्टेजर मोड में किया जा रहा है ताकि हर पंद्रह मिनट के बाद पूर्वानुमानों के लिए तस्वीरों का एक नया सेट उपलब्ध हो जाए.
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INSET-3DS के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं डॉ. अशीम कुमार मित्रा
INSET-3DS के प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. अशीम कुमार मित्रा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के टिकरापारा के निवासी हैं. उन्हें उपग्रह मौसम विज्ञान में 20 वर्षों का अनुभव है. उन्होंने शहर के सीएमडी कॉलेज से स्नातक व सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीजी की पढ़ाई पूरी की है. 2002 में वह यूपीएससी के माध्यम से मौसम विज्ञानी के रूप में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में शामिल हुए और बाद में उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल (2014) से मौसम पूर्वानुमान में सुदूर संवेदन के मात्रात्मक अनुप्रयोग में पीएचडी की.