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MP: अब मैं कहां जाऊं... बेटा-बहू की प्रताड़ना से तंग बुजुर्ग मां ने SP ऑफिस में धरने पर बैठीं, लगाई न्याय की गुहार

Jabalpur News: बुजुर्ग मां ने बताया, 'थाने के चक्कर काट-काटकर थक गई हूं. बेटे और बहू के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए अब खुद एसपी ऑफिस आकर गुहार लगाई है.'

MP: अब मैं कहां जाऊं... बेटा-बहू की प्रताड़ना से तंग बुजुर्ग मां ने SP ऑफिस में धरने पर बैठीं, लगाई न्याय की गुहार

Elderly mother harassed son-daughter-in-law: जबलपुर में जिंदगी भर की कमाई से घर बनाया, बेटे के भविष्य के लिए सपने सजाए, लेकिन बुढ़ापे में वही बेटा और बहू उनके लिए मुसीबत बन गए. ऐसा दर्द साझा किया 75 वर्षीय रेवतीबाई ने, जिन्होंने एसपी कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई और वहीं धरने पर बैठ गईं.

बुजुर्ग मां का बेटा-बहू पर गंभीर आरोप

शांतिनगर की समता कॉलोनी के रहने वाली रेवतीबाई ने बताया कि उन्होंने पूरी उम्र मेहनत करके जो संपत्ति अर्जित की थी, उसे बेटे-बहू ने छल से अपने नाम करवा लिया. अब स्थिति यह हो गई है कि वे न सिर्फ तिरस्कार झेल रही हैं, बल्कि उन्हें घर से निकालने की कोशिशें की जा रही हैं.

बुजुर्ग मां ने अधिकारियों से लगाई न्याय की गुहार

"अब कहां जाऊं, किसके दरवाजे जाऊं?"- यह सवाल करते हुए रेवतीबाई की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. उन्होंने कहा कि उम्र के इस मोड़ पर न कोई ठिकाना बचा है, न ही जीवन यापन का कोई सहारा.

बुजुर्ग महिला की व्यथा सुनकर मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने पहले उन्हें भोजन कराया. उसके बाद उनकी शिकायत दर्ज की और मामले की जांच शुरू कर दी है.

अधिकारियों ने बताया कि जांच के बाद यदि आरोप सही पाए गए, तो संबंधितों के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस अधीक्षक कार्यालय में धरना देने का कारण पूछे जाने पर रेवतीबाई ने कहा, 'थाने के चक्कर काट-काटकर थक गई हूं. बेटे और बहू के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए अब खुद एसपी ऑफिस आकर गुहार लगाई है.'

स्थानीय लोगों का कहना है कि रेवतीबाई एक सुलझी हुई महिला रही हैं, जिन्होंने कभी किसी से मदद नहीं मांगी. अब जब उन्होंने न्याय की उम्मीद में जनसुनवाई का दरवाजा खटखटाया है, तो प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर उनका सहारा बनना चाहिए.

क्या कहता है कानून?

वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा व सम्मान सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा "माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007" (The Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) लागू किया गया है.

  • इस अधिनियम के तहत कोई भी संतान (सगे या दत्तक) अपने माता-पिता की देखरेख करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होती है.
  • यदि संतान उन्हें छोड़ देती है या संपत्ति हथियाकर उन्हें बेसहारा कर देती है, तो माता-पिता वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण में शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
  • इस अधिनियम के अंतर्गत, माता-पिता अपनी देखभाल के लिए मासिक भरण-पोषण की मांग भी कर सकते हैं.
  • दोषी पाए जाने पर संबंधित संतान पर आर्थिक दंड, संपत्ति से बेदखली और यहां तक कि सजा का भी प्रावधान है.

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