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MP News: स्थानीय लोगों की जुबानी, अफगानी नागरिक सोहबत खान की कहानी

Madhya Pradesh Latest News: एटीएस को पता चला कि भारत लौटने के तुरंत बाद सोहबत ने अपना मूल अफगानी पासपोर्ट फाड़कर फेंक दिया, ताकि कोई सबूत न बचे. अब एटीएस उसके आतंकी संपर्कों की भी जांच कर रही है.

MP News: स्थानीय लोगों की जुबानी, अफगानी नागरिक सोहबत खान की कहानी

Madhya Pradesh News: एनडीटीवी की टीम ने शनिवार को जबलपुर के आठ नल क्षेत्र में उन स्थानों का दौरा किया, जहां से अफगानी नागरिक सोहबत खान को गिरफ्तार किया गया था. वहां रहने वाले स्थानीय लोगों से बातचीत में सामने आया कि किसी को भी कभी इस बात का संदेह नहीं हुआ कि सोहबत खान किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल हो सकता है.

स्थानीय लोगों के अनुसार, सोहबत खान कंबल, दरी और चादर का कारोबार करता था. वह हमेशा शांत स्वभाव का व्यक्ति था. वह अपने परिवार और बच्चों के साथ सादा और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करता था. लोगों का कहना है कि एक फोटो ने ही उसे मुश्किल में डाल दिया, जिसमें वह विदेशी हथियार के साथ दिखाई दे रहा था और जो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया, जिस से वो रडार में आ गया और फिर गिरफ्तारी हो गई.

भारतीय पासपोर्ट भी बना रखे थे

जबलपुर में एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने जबलपुर से एक अफगानी नागरिक सोहबत खान को गिरफ्तार किया है, जो पिछले करीब 10 वर्षों से छोटी ओमती क्षेत्र के आठ नल इलाके में रह रहा था. जांच में खुलासा हुआ है कि उसने न केवल आधार कार्ड, बल्कि भारतीय पासपोर्ट तक बनवा लिया था.

ये सहयोगी भी हुए गिरफ्तार

फर्जी दस्तावेजों के मामले में विजय नगर निवासी वन विभाग के 40 वर्षीय कर्मचारी दिनेश गर्ग और कटंगा निवासी 45 वर्षीय महेंद्र कुमार सुखदन की संलिप्तता पाई गई है. दोनों को अफगानी नागरिक को अवैध रूप से दस्तावेज दिलाने में सहयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

10 अफगानी नागरिकों के भी बनवाए गए थे पेपर

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि सोहबत ने दिनेश और महेंद्र की मदद से लगभग 10 अन्य अफगानी नागरिकों के लिए भी जबलपुर के फर्जी पते पर आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाए थे. ये सभी युवक वर्तमान में बंगाल, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में रह रहे हैं. इनमें से दो की पहचान अकबर और इकबाल के रूप में हुई है, जिनके दस्तावेजों में जबलपुर का पता दर्ज है, जबकि वे वर्तमान में पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं.

विदेशी हथियारों की फोटो से आया रडार पर

दरअसल, सोहबत खान ने कुछ समय पहले इंटरनेट मीडिया पर एक फोटो साझा किया था, जिसमें वह विदेशी हथियार हाथ में लिए दिख रहा था. यह फोटो एटीएस के संज्ञान में आते ही उसकी गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी गई. जांच में सामने आया कि वह हाल ही में अफगानिस्तान भी गया था. पासपोर्ट की जांच में यह फर्जी पाया गया.

अफगानी पासपोर्ट फाड़कर फेंका

एटीएस को पता चला कि भारत लौटने के तुरंत बाद सोहबत ने अपना मूल अफगानी पासपोर्ट फाड़कर फेंक दिया, ताकि कोई सबूत न बचे. अब एटीएस उसके आतंकी संपर्कों की भी जांच कर रही है.

शरणार्थी से विवाह, जालसाजी से बनवाए दस्तावेज

जांच में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2015 में भारत आने के बाद सोहबत की भोपाल में एक अफगानी शरणार्थी युवती से पहचान हुई, जिससे उसने विवाह कर लिया. इसके बाद दोनों जबलपुर में आकर बस गए. सोहबत ने जाली जन्म प्रमाणपत्र के जरिए आधार कार्ड बनवाया और कलेक्ट्रेट के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से मूलनिवासी प्रमाण-पत्र भी प्राप्त कर लिया. इसके बाद पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और वर्ष 2020 में भारतीय पासपोर्ट तक बनवा लिया.

पूरा गिरोह था सक्रिय

इसके बाद उसने अपने दो अन्य साथियों के भी जबलपुर के फर्जी पते पर आधार कार्ड तैयार कराए. इस तरह जबलपुर से अफगानी नागरिकों की फर्जी पहचान बनाने का संगठित गिरोह सक्रिय था, जिसमें दस्तावेज तैयार करने वाले से लेकर उनके सत्यापन में शामिल कर्मी भी संलिप्त थे.

दस्तावेज बनवाने में खर्च किए 10 लाख रुपये

सोहबत स्थानीय पहचान पत्र बनवाने के लिए जबलपुर में घूम रहा था. तभी उसकी मुलाकात कलेक्ट्रेट के चुनावी सेल में तैनात वन विभाग के कर्मचारी दिनेश गर्ग से हुई. दिनेश की पहचान कलेक्ट्रेट के प्रमाण पत्र तैयार करने वाले कर्मचारियों से थी. सोहबत ने लगभग 10 लाख रुपये खर्च कर अपने और अपने साथियों के आधार कार्ड बनवाने का सौदा किया.

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बाद में वह पासपोर्ट सेवा केंद्र के पूर्व कर्मचारी महेंद्र सुखदन के संपर्क में आया और दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट भी बनवा लिए. चूंकि सभी दस्तावेज फर्जी पते पर बनवाए गए थे. इसलिए जब डाक से आधार और पासपोर्ट आते, तो डाकिए को तीन हजार रुपये देकर रास्ते से ही दस्तावेज प्राप्त कर लिए जाते थे, ताकि फर्जीवाड़ा उजागर न हो सके.

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