EWS Reservation in MP: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने ईडब्ल्यूएस (EWS) आरक्षण को लागू किए जाने के संबंध में एक फैसला सुनाया. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 15(6) तथा 16(6) की अहम व्याख्या करके स्पष्ट कर दिया है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था की गई जाएगी. कोर्ट ने कहा कि EWS आरक्षण के लाभ से ओबीसी /एस.सी. /एस.टी. वर्ग को निरूध रखा गया है. फिर कुल विज्ञापित पदों में से 10% पद EWS के लिए आरक्षित किया जाना संविधान के अनुच्छेद 16(6) के प्रावधान से असंगत है.
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 16(6)
उक्त अनुच्छेद की मूल भावना के अनुसार कुल विज्ञापित पदों में ओबीसी /SC /ST के लिए आरक्षित पदों को छोड़कर शेष अनारक्षित पदों में से EWS को 10% पद आरक्षित होना चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि किसी भी पद के रिक्त 100 पोस्ट को भरे जाने के लिए विज्ञापन जारी किया जाता है, जिसमें 16 पद SC को, 20 पद ST को तथा 27 पद ओबीसी वर्ग को दिए जाते हैं. शेष 37 पद अनारक्षित के लिए रखे जाते है. इस प्रकार कुल 100 पद हुए. संबंधित विभाग को 37 अनारक्षित पदों में से 10%, अर्थात 4 पद EWS को आरक्षित होंगे.
पहले की गई थी ये गलती
मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 19/12/2019 को त्रुटिपूर्ण रोस्टर जारी करके EWS को 100% पदों में से 10% पद आरक्षित कर दिए गए थे. इसके साथ ही 2019 से लाखों पदों की भर्तियों में EWS हजारों अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है. आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश सरकार के विशेष अधिवक्ता अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह का कहना है कि EWS आरक्षण को लागू किए जाने में की जा रही व्यापक पैमाने पर अनियमितताओं के संबंध में हाईकोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर है.
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