
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में गरीबों के हक का राशन हड़पने वाले बड़े घोटाले पर आखिरकार प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. NDTV ने जब इस मामले को प्रमुखता से उठाया और प्रशासन से सवाल किए, तो दो दिन के भीतर ही पुलिस ने 33 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया.
यह घोटाला अगस्त से अक्टूबर 2022 के बीच हुआ था.जबलपुर की 11 उचित मूल्य की दुकानों से लाखों किलोग्राम गेहूं, चावल, शक्कर और नमक गायब पाए गए.
जांच में सामने आया कि यह हेराफेरी सीधे तौर पर नहीं, बल्कि AePDS पोर्टल में डिजिटल हेरफेर के जरिए की गई. पोर्टल पर राशन का स्टॉक अवैध तरीके से घटा दिया गया, ताकि कोई रिकॉर्ड न बचे.एनआईसी हैदराबाद से मिली तकनीकी जानकारी के मुताबिक, यह काम कुछ संदिग्ध आईपी एड्रेस से किया गया, जो विभाग के नहीं थे बल्कि नगर निगम क्षेत्र से जुड़े पाए गए.
एफआईआर में 11 दुकानों के संचालकों, अध्यक्षों, विक्रेताओं और सहायक विक्रेताओं को आरोपी बनाया गया है. इसके अलावा खाद्य विभाग के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. इनमें जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भावना तिवारी,सुचिता दुबे और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट के अक्षय कुमार खरे शामिल हैं.
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ₹2,20,12,460 मूल्य का राशन गबन किया गया और बाद में रिकॉर्ड मिटाने के लिए पीओएस मशीन और पोर्टल से छेड़छाड़ की गई. संयुक्त कलेक्टर ऋषभ जैन की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता, आवश्यक वस्तु अधिनियम और मध्यप्रदेश पीडीएस नियंत्रण आदेश के तहत मामला दर्ज किया है.
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