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International Cheetah Day 2024: चीता स्टेट बनकर MP ने स्थापित किया नया बेंचमार्क, लिखा नया इतिहास

International Cheetah Day: चीता दिवस पर CM मोहन यादव ने कहा है कि कभी भारत से विलुप्त हो चुकी चीतों की प्रजाति को आज मध्यप्रदेश में देखना अत्यंत सुखद है. प्रदेश की भूमि पर दौड़ते चीते आज राज्य के पर्यटन को नई गति प्रदान कर रहे हैं. देश के हृदय प्रदेश में चीतों के परिवार के बढ़ने का सिलसिला जारी है. हमारी सरकार पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु चीतों के संवर्धन के लिए निरंतर कार्यरत है.

International Cheetah Day 2024: चीता स्टेट बनकर MP ने स्थापित किया नया बेंचमार्क, लिखा नया इतिहास

International Cheetah Day 2024: मध्य प्रदेश ने चीतों (Cheetah) के मामले में नया इतिहास रच दिया है. कभी देश में एक भी चीते नहीं थे, लेकिन चीता प्रोजेक्ट (Project Cheetah) के माध्यम से देश में 17 सितंबर 2022 को 70 साल बाद एमपी में श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते छोड़े गए. यह आपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है कि इस समय कूनो (Kuno National Park) में 12 चीते और 12 शावक हैं. ऐसे में MP में सभी को इस बात का गर्व है कि मध्यप्रदेश न केवल देश का 'चीता स्टेट' कहलाने का गौरव रखता है, बल्कि विश्व भर में चीता पुनर्वास के अद्वितीय केंद्र के रूप में भी प्रतिष्ठित हुआ है. कूनो में दो चीते 4 ​दिसंबर को छोड़े जाएंगे.

MP ने बनाया बेंचमार्क, अब यहां स्टडी के लिए आ रहे हैं देश-दुनिया के लोग

पालपुर कूनो नेशनल पार्क का वातावरण चीतों के स्वास्थ्य के लिये अनुकूल साबित हुआ है. प्रोजेक्ट चीता को साकार करते हुए वन्य जीव प्रबंधन की दृष्ट‍ि से मध्य प्रदेश की चीता परियोजना अन्य देशों के लिये एक उदाहरण बन गई है. वन्य जीव विशेषज्ञ चीता परियोजना का अध्ययन करने मध्यप्रदेश आ रहे हैं.

सीएम मोहन यादव का कहना है कि भविष्य में कूनो में ही लगभग 2 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. गांधी सागर अभयारण्य में भी ऐसी गतिविधियों को संचालित किया जायेगा. कूनो को इको टूरिज्म का हब बनाया जाएगा और केंद्रीय इको टूरिज्म केंद्र की स्थापना भी की जाएगी.  मध्य प्रदेश में कूनो क्षेत्र को आर्थिक विकास के मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए कार्य किया जाएगा चीता पुनर्स्थापना के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को संचालित करने के लिए यहां पर व्यवस्था की जाएगी.

चीतो के पुनर्स्थापन से पूरे विश्व में हमने सफलता पाई है. जल्दी ही गांधी सागर में भी अफ्रीका और नामीबिया से चीता लाया जाएगा. चीता पुनर्स्थापना में हम सफल हैं और वर्तमान में आठ बच्चे मादा चीता के साथ स्वच्छंद घूम रहे हैं.

विकास के द्वार भी खुलेंगे

कूनो का 900 किलोमीटर का क्षेत्र यहां के चीता मित्रों के कारण फल-फूल रहा है. चीते के जंगलों से खेतों में आने पर भी कोई समस्या नहीं होती है. चीता मित्रों द्वारा तुरंत वन अधिकारियों को सूचित कर उनको संरक्षित और सुरक्षित किया गया है. यह सफलता हासिल करने वाला भारत पूरी दुनिया में अकेला देश है.

वर्ष 2010 में 4 दिसंबर को इंटरनेशनल चीता डे घोषित किया गया था. डॉ लॉरी मार्कर ने खय्याम की याद में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के रूप में नामित किया, इस चीते को उन्होंने विंस्टन, ओरेगन में वाइल्डलाइफ सफारी में एक शावक के रूप में पाला था. चीता बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों की उत्पत्ति पाँच मिलियन से अधिक वर्षों से मियोसीन युग में हुई थी.

जल्द ही राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश को मिलाकर देश का सबसे बड़ा चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा. 1500 से 2000 किलोमीटर तक के इस कॉरिडोर से तीनों राज्यों के 22 जिले जुड़ेंगे.

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