
Misa Bandi Beggars: इंदौर की सड़कों पर भीख मांगते पकड़े गए मीसा बंदी देवव्रत चौधरी को लेकर इंदौर प्रशासन ने भले ही अपनी गलती सुधार ली हो, लेकिन भिक्षुक बनकर जीवन गुजारने को मजबूर हुए मीसा बंदी देव व्रत चौधरी आज भी अकेला जीवन जीने को मजबूर हैं. हालांकि जब उनका राज खुला तो हर कोई हैरान रह गया था. ये अलग बात है कि मीसा बंदी की मुश्किलें उनकी पहचान उजागर होने के बाद भी कम नहीं हुई हैं.
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इंदौर में भीख मांगते मिले देवव्रत चौधरी को प्रशासन ने आश्रम में भेज दिया था
रिपोर्ट के मुताबिक भिक्षुक मुक्त शहर मुहिम के दौरान इंदौर प्रशासन ने भीख मांगते मिले देवव्रत चौधरी को पकड़कर उज्जैन आश्रम में भेज दिया था, लेकिन जब मीसा बंदी की असलियत सामने आई तो गलती तो सुधारते हुए देवव्रत चौधरी को वारिस (नॉमिनी) के घर पहुंचा दिया, लेकिनदुर्भाग्य कहे या नियति, उन्हें उनके नॉमिनी ने घर में रखने से इंकार कर दिया है.
मुम्बई में बड़ी कम्पनियों में काम कर चुके हैं मैकेनिकल इंजीनियर देवव्रत चौधरी
इंदौर निवासी 75 वर्षीय मीसा बंदी देवव्रत चौधरी को इंदौर प्रशासन ने गत 15 अप्रैल को भीख मांगते पकड़ा था और उन्हें उज्जैन स्थित अम्बोदिया स्थित सेवाधाम आश्रम भेज दिया था. इंदौर के एसजीएसआईटीएस कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर कर मुम्बई में बड़ी कम्पनियों में इंजीनियर रहे देवव्रत चौधरी की असलियत सामने आई तो इंदौर प्रशानस सकते में आ गया.
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मित्र के बेटे को बनाया था नॉमिनी, वह भी देव व्रत चौधरी के काम नहीं आया
अपने मित्र के बेटे ब्रजेश शर्मा को अपना नॉमिनी बनाने वाले देवव्रत चौधरी को उम्मीद थी कि वह उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन नॉमिनी ने भी अब उनसे किनारा कर लिया है. इंदौर प्रशासन ने आश्रम से निकालकर देवव्रत चौधरी को नॉमिनी के घर पहुंचा दिया था, लेकिन नॉमिनी ने दोबारा उन्हें आश्रम में भेज दिया है.
उज्जैन आश्रम से लौटे 75 वर्षीय मीसा बंदी ने अंगदान करने की है इच्छा
उल्लेखनीय है इंदौर प्रशासन ने अपनी गलती सुधारते हुए मीसा बंदी देवव्रत चौधरी को नॉमिनी बृजेश शर्मा के घर भिजवा दिया था, लेकिन बृजेश ने उन्हें रखने में असमर्थता जताते हुए वापस आश्रम भेज दिया. अब स्थाई रूप से उज्जैन में आश्रम में बाकी समय गुजारने को मजबूत मीसा बंदी ने अंगदान करने की इच्छा जताई है.
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फटे कपड़ों में भीख मांगते मिले मीसा बंदी की मानसिक हालत ठीक नहीं
15 अप्रैल को राजवाड़ा के पास फटे कपड़ों में भीख मांगते मिले मीसा बंदी देव व्रत चौधरी की मानसिक हालत ठीक नहीं है. यही कारण था कि जब उन्हें आश्रम ले जाया जा रहा था तब वो अपी पहचान नहीं बता पाए. उनकी जेब में भी महज 10 रुपए के नोट मिले थे, इसलिए प्रशासन को उन्हें आश्रम में भेजने में संकोच नहीं हुआ.
75 वर्षीय मीसा बंदी तीन भाई है, एक भाई इंदौर तो दूसरा अमेरिका में है
फिलहाल, इंदौर में कुलकर्णी भट्टे में किराए पर मकान में अकेले रह रहे मीसा बंदी देव व्रत चौधरी तीन भाइयों में से सबसे बड़े हैं. उनका एक भाई कर्नल और दूसरा यूको बैंक में मैनेजर था. कर्नल भाई इंदौर में रहता है, जबकि दूसरा भाई अमेरिका में है. बुजुर्ग हो चुके देव व्रत चौधरी अपने भाईयों से पिछले 6 महीने से नहीं मिले हैं.
इंदौर के देव व्रत चौधरी अब कभी भी भीख नहीं मांगने का किया वादा
बताया जाता है तीन भाइयों में से एक देवव्रत चौधरी 6 माह से नहीं मिले हैं. मीसाबन्दी देव व्रत चौधरी के बैंक खाते में हर महीने आता है, जिससे उनका दैनंदिन घर का खर्च चलता है. वह बंगाली स्कूल एन्ड क्लब नवलखा के सदस्य देव व्रत चौधरी अब कभी भी भीख नहीं मांगने का वादा किया है.
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