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MP: इंदौर में बन गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र ! 5000 से ज़्यादा सर्टिफिकेट संदेह के दायरे में, खुलासा होते ही मचा हड़कंप

MP News: मध्य प्रदेश के इंदौर में बड़ी संख्या में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के बनने का मामला सामने आया है. इसका खुलासा होते ही हड़कंप मच गया है.प्रशासन की टीम जांच कर रही है. माना जा रहा है मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है.

MP: इंदौर में बन गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र ! 5000 से ज़्यादा सर्टिफिकेट संदेह के दायरे में, खुलासा होते ही मचा हड़कंप
इंदौर के लोक सेवा केन्द्र में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का बड़ा खेल चलता है.

Fake Caste Certificates: मध्य प्रदेश के इंदौर कलेक्टर कार्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का बड़ा खेल सामने आया है. वकीलों के चेंबर में बैठने वाले और एसडीएम कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की मिली भगत से सैकड़ों की तादाद में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बन गए. अब 5000 से ज्यादा जाति प्रमाण पत्रों की जांच होगी. 

ऐसे खुलता गया राज  

मल्हारगंज के बाद राऊ और जूनी इंदौर में भी सात-आठ मामलों का खुलासा हुआ है, जहां 20 से 25 हजार रुपए लेकर मांझी जाति के जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं. जो जाति इंदौर जिले में नहीं पाई ही जाती है, उनके जाति प्रमाण पत्र लोकसेवा केंद्र में आउटसोर्स के माध्यम से तैनात किए गए आपरेटर ने धड़ल्ले से जारी कर दिए हैं. जिला प्रशासन के लोकसेवा केंद्र में अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने के खुलासे के बाद पांच हजार से अधिक जारी हुए प्रमाण पत्र भी जांच के घेरे में आ गए हैं.

पुराने बनाए गए प्रमाण पत्र के भी जांच के दायरे में हैं. जिसमें सिंधी कॉलोनी के पार्षद  कमलेश कालरा की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं. इसकी जांच चल रही है और अब इस फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में इस केस को भी शामिल किया जा सकता है.

वहीं शिकायत में सामने आया है कि अफसरों की जानकारी के बिना ही लोकसेवा केंद्र के ऑपरेटर्स डिजिटल साइन का उपयोग कर जाति प्रमाण पत्र बना रहे हैं.जांच में पूर्व एसडीएम ओमनारायण बड़कुल के कार्यकाल में भी पांच से सात प्रमाण पत्र जारी होने का खुलासा हुआ है. जिसके बाद एसडीएम ने ऑपरेटर्स के घर दबिश दी .

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जांच में खुलासा हुआ है कि राऊ और दो अन्य तहसीलों के भी जाति प्रमाण पत्र इसी तरह से फर्जी तरीके से जारी किए गए हैं. यह भी सामने आया है कि किसी भी आवेदक का आवेदन लेकर सीधे ही ऑपरेटर डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग कर प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं.

इस संबंध में इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि इस संबंध में शिकायत मिली थी. इसके बाद जांच टीम का गठन किया गया है एक- दो दिनों में जांच रिपोर्ट आ जाएगी. गड़बड़ी मिलती है तो दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा.

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