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Jabalpur High Court :  कोर्ट में इस याचिका पर इंडिगो एविएशन ने पेश किया जवाब, जानें क्या कहा..

Jabalpur High Court News : जबलपुर हाईकोर्ट में एयर कनेक्टिविटी से जुड़ी जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में इंडिगो एविएशन ने अपना जवाब पेश किया है. जानें इस जवाब में क्या कहा है..

Jabalpur High Court :  कोर्ट में इस याचिका पर इंडिगो एविएशन ने पेश किया जवाब, जानें क्या कहा..
Jabalpur High Court :  कोर्ट में इस याचिका पर इंडिगो एविएशन ने पेश किया जवाब, जानें क्या कहा..

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट में एयर कनेक्टिविटी से जुड़ी जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में इंडिगो एविएशन ने अपना जवाब पेश किया है. इंडिगो ने स्पष्ट किया कि वह एक निजी कंपनी है और संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत "राज्य" की परिभाषा में नहीं आती, इसलिए उस पर जबलपुर में फ्लाइट्स शुरू करने के लिए निर्देश लागू नहीं किए जा सकते.

याचिका में ये मांग की गई थी

जनहित याचिका: नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांत अध्यक्ष डॉ. पी.जी. नाज पांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.याचिका में मांग की गई कि जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए एयर कनेक्टिविटी शुरू की जाए, जो पहले उपलब्ध थी.जबलपुर एयरपोर्ट पर इंदौर, भोपाल और ग्वालियर के समान उड़ान सेवाओं का विस्तार किया जाए.

इंडिगो का पक्ष

अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने इंडिगो की ओर से दलील पेश करते हुए कहा कि कंपनी पूरी तरह से निजी स्वामित्व वाली है. इसलिए, हाई कोर्ट द्वारा एयर कनेक्टिविटी को लेकर कोई निर्देश जारी करना इस कंपनी पर लागू नहीं होगा. इंडिगो ने यह भी कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

याचिकाकर्ता की दलील

अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाई कोर्ट को निजी संस्थाओं के खिलाफ भी निर्देश जारी करने का अधिकार है.उन्होंने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लेख किया.

मुद्दा : यह प्रकरण नागरिकों के हवाई यात्रा के अधिकार और निजी एयरलाइंस की भूमिका के बीच संतुलन से जुड़ा है. हाई कोर्ट को यह तय करना होगा कि क्या निजी एयरलाइंस को सार्वजनिक हित में विशेष निर्देश दिए जा सकते हैं.

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ये है अब आगे का रास्ता

हाई कोर्ट इस मामले में संविधान और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार फैसला करेगा. यह भी देखना होगा कि क्या इस याचिका में उठाए गए मुद्दों को व्यापक जनहित के दायरे में रखा जा सकता है.

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