Loan on Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) एक बार फिर कर्ज लेने की तैयारी में है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है, इसी के साथ आचार संहिता (Code of Conduct) भी लागू है. इसी बीच सरकार एक बार फिर कर्ज ले रही है. जानकारी के मुताबिक यह कर्ज 26 मार्च को लिया जाएगा. राज्य सरकार रिजर्व बैंक (RBI) की मुंबई शाखा से 5 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है. बताया जा रहा है कि यह कर्ज तीन हिस्सों में लिया जाएगा. वहीं इस बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा (Deputy CM Jagdish Devda) ने कर्ज लेने पर कहा कि ऐसी कौन सी प्रदेश सरकार है जो कर्ज नहीं लेती? कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है कर्ज समय पर चुकाना, ब्याज चुकाना और भी नियम हैं, प्रक्रिया है.
उन्होंने कहा, "हमने कर्ज लिया है तो कर्ज लेकर डेवलपमेंट किया है, सड़कों का जाल बिछाया है. कांग्रेस से हमने विधानसभा में भी पूछा था कि आपने कर्ज लेकर क्या घी पीने का काम किया है? दिग्विजय सिंह 10 साल बैठे, कमलनाथ 15 महीने सरकार में रहे हैं, इसका फैसला मध्य प्रदेश की जनता करेगी."
तीन हिस्सों में लिया जाएगा कर्ज
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार रिजर्व बैंक के मुंबई कार्यालय के माध्यम से 26 मार्च को तीन हिस्सों में कर्ज ले रही है. पहला कर्ज 20 साल के लिए दो हजार करोड़ रुपये का होगा. इसी तरह दो हजार करोड़ का दूसरा कर्ज 21 साल के लिए और एक हजार करोड़ रुपये का तीसरा कर्ज लिया जाएगा जो 22 साल में चुकाया जाएगा. तीनों ही कर्ज पर साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जाएगा.
प्रदेश के ऊपर करीब पौने 4 लाख करोड़ का कर्ज
एक तरफ मध्य प्रदेश के ऊपर लगातार कर्ज बढ़ता ही जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार का यह दावा है कि राज्य के पास फंड की कमी नहीं है. बता दें कि मध्य प्रदेश की नई नवेली मोहन सरकार ने तीन माह के कार्यकाल में अब तक 15 हजार 500 करोड़ का कर्ज लिया है. वहीं वर्तमान वित्त वर्ष की बात की जाए तो राज्य सरकार अब तक कुल 37 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है. इस नए कर्ज के साथ ही यह आंकड़ा 42 हजार करोड़ रुपये से पार चला जाएगा.
वहीं इस साल यानी की 2024 की बात करें तो 23 जनवरी को सरकार ने 2500 करोड़, छह फरवरी को 3 हजार करोड़, बीस फरवरी को 5 हजार करोड़, और 27 फरवरी को 5 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार बात करें तो मध्य प्रदेश के ऊपर 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. वहीं अब का कुल हिसाब-किताब लगाया जाए तो प्रदेश के ऊपर 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो गया है.
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