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Vidisha: देर रात जर्जर स्कूल भवन की गिरी छत, बड़ा हादसा टला, हर रोज बच्चों की जान जोखिम में

Madhya Pradesh News: विदिशा के डुग रावनी गांव के स्कूल की छत गिर गई. हालांकि, यह हादसा रात में हुआ जिससे बड़ा हादसा होते-होते टल गया.

Vidisha: देर रात जर्जर स्कूल भवन की गिरी छत, बड़ा हादसा टला, हर रोज बच्चों की जान जोखिम में

School Building Collapsed In Vidisha: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विदिशा (Vidisha) में स्कूल का भवन जर्जर होने के चलते वह भरभराकर गिर गया. गनीमत यह रही कि यह हादसा रात में हुआ. अगर यह हादसा दिन में हुआ होता तो कई मासूमों की जान खतरे में आ जाती. वहीं इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग (School Education Department) के अधिकारी वीरेंद्र सिंह बताते हैं, स्कूल भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. इसमें प्राथमिक शाला लगाई जाती है, जिसमें करीब 45 से 50 बच्चे शिक्षा हासिल करते हैं. अधिकारी ने बताया कि रात के समय में छत गिरी है. हालांकि कोई हादसा नहीं हुआ है. क्षतिग्रस्त भवन का प्रस्ताव वरिष्ठ अधिकारियों को बनाकर भेजा गया है. 

बता दें कि यह हादसा विदिशा जिले की लटेरी तहसील के डुग रावनी में हुआ है. जहां क्षतिग्रस्त स्कूल भवन की छत भरभराकर जमीदोज हो गई. यह कोई अकेला स्कूल भवन नहीं है जो जर्जर हालत में था. जिला मुख्यालय से दूर ग्रामीण अंचलों में एक नहीं बल्कि ऐसे सैकड़ों स्कूल भवन हैं, जो जर्जर हो गए हैं. जिसकी मरम्मत के लिए निचले स्तर से मांग की जा चुकी है, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई. मजबूरन यहां के बच्चों को जर्जर भवनों में पढ़ाई करना पड़ रहा है.

कई गांवों में खुले में लगते हैं स्कूल

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की हालत बद से बदतर है. यहां की कई प्राथमिक शालाओं के पास भवन तक नहीं हैं, और जिन शालाओं के पास भवन है, वह जर्जर हालत में है. इसके अलावा कई स्कूलों में शिक्षक की कमी भी है. जिससे हर साल शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. नटेरन और लटेरी तहसील में तो आज भी पेड़ के नीचे शाला लगाई जा रही है. शिक्षक का कहना है कि भवन ही नहीं है. अब बच्चों को कहां पढ़ाएं? पढ़ाई तो जारी रखना है. 

'स्कूल चले हम' अभियान पर करोड़ों रुपये होते हैं खर्च 

बता दें कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'स्कूल चले हम' अभियान के तहत हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. घर-घर से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए यह पैसा खर्च किया जाता है, जिससे शिक्षा के हालात बेहतर हो सके. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की हालत लगातार खराब होती जा रही है. कहीं स्कूल पहुंचने के लिए सड़क नहीं है तो कहीं स्कूल में शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चों को भवन भी नसीब नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में नन्हें बच्चों के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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