MP News in Hindi : दिव्यांग और पंडित बलिराम, जो संन्यास लेने के बाद संत बली भगत के नाम से प्रसिद्ध हुए, का एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में निधन हो गया था.. सतना में हुई एक घटना में उनकी ट्राईसाइकिल को बाइक ने टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तत्काल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जबलपुर ले जाया गया, लेकिन तब तक उनका ब्रेन डेड हो चुका था.डॉक्टरों ने परिवार को समझाया कि उनके अंगों के दान से चार मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है. परिवार ने सहमति दी, और देर रात 1:00 बजे अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई.
ग्रीन कॉरिडोर बनाया
सुबह 10:00 बजे, संत बली भगत का लिवर इंदौर और हृदय भोपाल भेजा गया. हालांकि, किडनी खराब हो जाने के कारण इसका उपयोग नहीं हो सका. जबलपुर जिला प्रशासन और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इस प्रक्रिया को तेजी से संपन्न किया. इन अंगों के सफल ट्रांसप्लांट से दो जिंदगियां बचाई जा सकी.
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आम लोगों से की गई अंगदान की अपील
मध्य प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज ने ऑर्गन डोनेशन में इतना बड़ा प्रयास किया. यह घटना न केवल एक मिसाल बनी, बल्कि समाज में ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरुकता फैलाने का भी माध्यम भी बनी.जबलपुर प्रशासन और मेडिकल स्टाफ की इस पहल की सराहना करते हुए सभी नागरिकों से अपील की गई है कि ब्रेन डेड मामलों में अंगदान के लिए आगे आएं और जीवन बचाने में योगदान दें. वहीं, दिवंगत संत की हर ओर तारीफ हो रही है. क्योंकि उन्होंने अपनी जान गवाकर भी चार लोगों को नया जीवन देकर गए हैं.
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