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This Article is From Apr 18, 2025

MP में पत्नियों से परेशान पतियों ने की मांग- पुरुष आयोग बने, एक साल में 22 हजार ने मांगी मदद

Husband Harassed by Wife: मध्य प्रदेश में पत्नियों से प्रताड़ित पुरुषों की संख्या बढ़ रही है. यही वजह है कि कई संस्थाओं ने पुरुषों के लिये काम करना शुरू कर दिया है. आलम ये है कि इनके हेल्पलाइन नंबर पर साल भर में ही 22 हज़ार से अधिक लोग मदद मांग चुके हैं. प्रताड़ित लोगों ने अब पुरुष आयोग बनाने की मांग की है. ऐसी ही एक संस्था वॉच लीग की संयोजक चंदना अरोड़ा ने तो इसे 'वैवाहिक आतंकवाद' करार दिया है.

MP में पत्नियों से परेशान पतियों ने की मांग- पुरुष आयोग बने, एक साल में  22 हजार ने मांगी मदद

Men's Commission Demand: शादी - जिसे कभी गृहस्थी का सुख कहा जाता था वो अब कई पुरुषों के लिए वैवाहिक कुरुक्षेत्र बन चुका है. इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने चुप्पी की दीवार पर पहली दरार डाली तो अब मध्य प्रदेश में प्रताड़ित पतियों की आवाज मुखर हो गई है. यही वजह है कि कई संस्थाओं ने पुरुषों के लिये काम करना शुरू कर दिया है. आलम ये है कि इनके हेल्पलाइन नंबर पर साल भर में ही 22 हज़ार से अधिक लोग मदद मांग चुके हैं. प्रताड़ित लोगों ने अब पुरुष आयोग बनाने की मांग की है. ऐसी ही एक संस्था वॉच लीग की संयोजक चंदना अरोड़ा ने तो इसे 'वैवाहिक आतंकवाद' करार दिया है. NDTV ने कुछ केस स्टडी के जरिए हालात को समझने और समझाने की कोशिश इस रिपोर्ट में की है.  

पत्नी की वजह से 'आत्महत्या' की सोच रहे! 

सबसे पहले बात भोपाल के अशोका गार्डन में रहने वाले उमेश सलोनिया की. साल 2001 में बालाघाट की युवती से उनकी शादी हुई. पत्नी को उन्होंने Msc की डिग्री दिलाई. इसी बीच उन्हें पता चला पत्नी का किसी और लड़के के साथ अफेयर है. Msc की पढ़ाई पूरा करते ही पत्नी 8 महीने तक गायब रही. जिसके बाद परेशान उमेश ने इसकी शिकायत बालाघाट थाने में की. तब उनकी पत्नी सामने आई और उमेश पर ही दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुये केस दर्ज करवा दिया. उमेश की पत्नी अब उनसे तलाक के लिए 10 लाख और गहने की मांग की जा रही है. NDTV से अपनी आपबीती सुनाते-सुनाते उमेश रोने लगे. वे कहते हैं न्याय नहीं मिला तो अतुल सुभाष की तरह आत्महत्या करनी पड़ेगी. 

पत्नी से प्रताड़ित इन दोनों लोगों को समझ नहीं आ रहा है उन्हें इंसाफ कैसे मिलेगा?

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जो देख नहीं सकता, उस पर लगा दिया मारपीट का आरोप

अब बात आफताब की...वे जन्म से ही देख नहीं सकते. साल 2017 में उनकी शादी हुई.  जब उनकी सरकारी नौकरी लगी तो पत्नी ने परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया. बात नहीं बनी तो पत्नी यूपी के अलीगढ़ अपने मायके चली गई. वहीं से उसने उन पर दहेज प्रताड़ना की FIR गुजरात के गोधरा में दर्ज कराई. आफताब थानों के चक्कर लगाकर परेशान हो गए तो केस ट्रांसफर कराने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई पड़ी. इसके बाद पत्नी ने अलीगढ़ में भी उनके खिलाफ FIR दर्ज करा दी. आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि जो शख्स बचपन से देख नहीं सकता उस पर पत्नी मारपीट का भी आरोप लगाया है.फिलहाल मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है. पत्नी उनसे तलाक के लिए 30 लाख रुपये मांग रही है.  

27 हजार है वेतन, 18 हजार पत्नी को देने पड़ रहे

हमें एक और पीड़ित मिले. जिनका नाम है वाल्मीकि अहिरे. उनकी शादी 2015 में हुई थी.शादी के 9 दिन बाद पिता की मौत हो गई तो उन्हें अनुकंपा नियुक्ति मिली. इसी के बाद से पत्नी ने छोटी -छोटी बात पर लड़ाई करना शुरू कर दी. वो उन पर मां को वृद्धाश्रम भेजने की मांग करने लगी. जब वाल्मीकि नहीं माने तो वो मायके चली गई. अब कोर्ट में तलाक का केस चल रहा है. कोर्ट के आदेश पर 27 हज़ार की तनख्वाह में से 18 हजार उन्हें पत्नी को देने पड़ रहे हैं. जाहिर जब इस तरह के मामले बढ़ने लगे तो पत्नी प्रताड़ित पुरुषों के सहयोग के लिये सेव इंडिया फैमिली मूवमेंट के तहत भोपाल में 'भाई' संस्था बनी. पुरुषों की सहायता के लिये हेल्पलाइन नम्बर जारी किए गए....'भाई' संस्थान के हेल्पलाइन नंबर पर सहायता मांगने वाले पुरुषों की एक लंबी फेहरिस्त है आंकड़ों के मुताबिक-   

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Photo Credit: Meta AI

'भाई' वेलफेयर सोसायटी के प्रवक्ता अचल बाथम कहते हैं कि सरकार को महिला आयोग की तरह पुरुष आयोग भी बनाना चाहिए. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के 2023 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हुई कुल आत्महत्या में से 9 प्रतिशत आत्महत्या मध्यप्रदेश में दर्ज हुई हैं. पांच सालों में पारिवारिक कलह के कारण एमपी में 31.7% ने आत्महत्याएं हुई हैं.  

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  वॉच लीग संस्था की कन्वेनर चन्दना अरोरा प्रताड़ित  पुरुषों के लिये काम करती हैं , उन्होंने इस तरह की घटनाओं को वैवाहिक आतंकवाद का नाम दिया है. दरअसल हालात कुछ इस कदर है कि जो कल तक घर बसाने के सपने देख रहे थे वो आज वकीलों के दफ्तरों में  अपनी जिंदगियों की फाइल ढूंढ रहे हैं. कभी किसी वकील की मेज पर, कभी किसी जज के फैसले में,कभी किसी हेल्पलाइन की घंटी में -रोती हुई आवाज गूंजती है -हमें बचा लो..  

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