विज्ञापन

मध्य प्रदेश की 32 बड़ी नदियों में से 27 की 'गंगोत्री' खत्म...क्यों सिकुड़ती-सूखती जा रही नर्मदा-शिप्रा भी?

मध्य प्रदेश में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 207 नदियां बहती हैं. इसमें से 175 नदियां सिर्फ बरसाती हैं. बड़ी नदियों में नर्मदा,शिप्रा, गोदावरी,माही, चंबल और ताप्ती शामिल हैं. चिंता इस बात की है कि राज्य की 32 बड़ी नदियों में से 27 के उद्गम स्थल सूख चुके हैं. ये खुलासा खुद राज्य में मंत्री प्रह्लाद पटेल ने की है. कैसा और क्यों है ये खतरा?

मध्य प्रदेश की 32 बड़ी नदियों में से 27 की 'गंगोत्री' खत्म...क्यों सिकुड़ती-सूखती जा रही नर्मदा-शिप्रा भी?

प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार की मशहूर लाइनें हैं- 

यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियां,  मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा

ये कविता लंबी है लेकिन जिस संदर्भ में हम बात करने जा रहे हैं उसके लिए ये सटीक हैं. दरअसल मध्यप्रदेश बड़े जल संकट की ओर बढ़ रहा है. राज्य में करीब 207 नदियां बहती हैं जिसमें 175 नदियां बरसाती हैं और 32 नदियां पहले सालों भर बहा करती थीं. इन्हीं 32 नदियों में से अब 27 नदियों का उद्गम स्थल सूख चुका है. हालात इस कदर खराब हैं कि इन 27 में से सिर्फ 5 नदियों के उद्गम स्थल पर ही पानी बचा है. खुद राज्य में मोहन यादव सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इसका खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि लोगों को मौजूदा जल संरचनाओं को बचाने के लिए आपस में जुड़ना पड़ेगा नहीं तो भविष्य में आने वाले खतरे की बस कल्पना ही की जा सकती है. सवाल ये है कि क्या इंसान और उसके विकास की प्यास की वजह से साल दर साल नदियां हमसे दूर होती जा रही हैं?..क्या हैं जमीनी हालात..इस रिपोर्ट में हम इसी पर बात करेंगे.  

Latest and Breaking News on NDTV

मंत्री ने कहा- इंसानी लालच में खत्म हो रही हैं नदियां

बता दें कि मध्यप्रदेश की धसान, केन,सिंध,कूनो,शिप्रा,कान्ह,स्वर्ण और तमस नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं.मध्य प्रदेश के पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां हैं- नर्मदा, माही और ताप्ती. इसी  तरह से  दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली नदी है- काली सिंध,चंबल,पार्वती, धसान, केन, सिंध, कूनो,शिप्रा और बेतवा. इन सभी नदियों के आसपास घूम आइए. सभी आपको सिकुड़ती और सूखती मिल जाएंगी.

गूगल अर्थ से ली गई इस तस्वीर में देखिए किस तरीके से नर्मदा के उद्गम स्थल के बायीं तरफ हरियाली खत्म हो चुकी है. जबकि कुछ ही दशक पहले ये इलाका भी दायीं तरफ की तरह हरा-भरा था.

गूगल अर्थ से ली गई इस तस्वीर में देखिए किस तरीके से नर्मदा के उद्गम स्थल के बायीं तरफ हरियाली खत्म हो चुकी है. जबकि कुछ ही दशक पहले ये इलाका भी दायीं तरफ की तरह हरा-भरा था.

इस संकट से निपटने के लिए  केंद्र सरकार के साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार ने जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम शुरू किया है. जिसका उद्देश्य नदियों, तालाबों और अन्य जलस्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन की दिशा में ठोस कदम उठाना है. गंजबासौदा में आयोजित एक ऐसे ही कार्यक्रम में प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा- प्रदेश की अधिकांश नदियाँ अब सूखने की कगार पर हैं। उन्होंने पारासरी नदी का उदाहरण देते हुए बताया कि यह नदी अब पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है, और इसके पीछे इंसानी लालच, अतिक्रमण और अवैध उत्खनन प्रमुख कारण हैं. अब ये भी जान लेते हैं कि नदियों का संरक्षण क्यों जरुरी है.  

Latest and Breaking News on NDTV

मध्यप्रदेश की जीवनदायनी नर्मदा भी खतरे में

मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में बहने वाली नर्मदा नदी को हमारे यहां मां का दर्जा प्राप्त है.  यह मध्य प्रदेश के 16 जिलों में 1077 किलोमीटर में बहती है और एक बड़ी आबादी को पानी देती है. यह अनूपपुर जिले के अमरकंटक में मैकाल पर्वत से निकलती है और पश्चिम की ओर बहकर खंभात की खाड़ी में अरब सागर से मिलती है. नर्मदा की स्थिति को लेकर कई पर्यावरणविद् अक्सर चेतावनी देते रहते हैं कि ये दिन अगले 30 सालों में सूख सकती है. नर्मदा नदी अमरकंटक में जिस झरने से निकलती है, उसमें बहुत कम पानी है लेकिन यह जैसे-जैसे आगे बढ़ती है तो इसमें कई छोटी-छोटी नदियां मिलने लगती हैं. इन्हीं नदियों की वजह से नर्मदा विराट रूप ले पाती है. लेकिन अवैध खनन, जंगलों की कटाई और इंसानी बस्तियों के विकास की वजह से नर्मदा की सहायक नदियां अब या तो सूख चुकी हैं या फिर सूखने के कगार पर हैं. ये नदियां हैं- ओमनी, सिंगरी, पलकमती, देनवा, गंजाल, दूधी, तवा (कुछ क्षेत्र में), तेंदुबी, वारना, हिरन, कानर, और हथिनी. 

केन नदी जो पहले काफी चौड़ी हुआ करती थी उसकी अब ये हालत हो गई है

केन नदी जो पहले काफी चौड़ी हुआ करती थी उसकी अब ये हालत हो गई है

 शिप्रा भी छोड़ रही साथ....!

महाकाल की नगरी उज्जैन से बहने वाली शिप्रा नदी का पौराणिक महत्व है. लेकिन अब इस पर संकट गहरा रहा है. इसकी स्थिति गंभीर है. इसका उद्गम स्थल करीब-करीब सूख चुका है. नदी का जलस्तर बनाए रखने के लिए नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना शुरू हो चुकी है. इस नदी के किनारों पर 200 मीटर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा है. बिना इजाजत ग्रीन बेल्ट की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. प्रदूषित नालों को इसमें छोड़ा जा रहा है. 

चंबल की भी सिकुड़ रही है धार

चंबल नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान को अपनी धारा से अलग करती है. ये बेहद प्राचीन नदी है लेकिन इसका दायरा भी दिन ब दिन सिकुड़ता जा रहा है. इसकी कई सहायक नदियां मसलन- बनास नदी, क्षिप्रा नदी, काली सिंध, पार्वती नदी, छोटी कालीसिंध, कुनो नदी, ब्राह्मणी नदी, परवन नदी, अलनिया नदी, रेतम नदी या तो सूख चुकी हैं या फिर सूखने की कगार पर हैं. बड़ी मात्रा में पत्थर के उत्खनन के चलते नदी का अस्तित्व खतरे में है। बरसात को छोड़कर शेष महीनों के दौरान नदी की जगह सिर्फ पथरीली चट्टानें नजर आती है. 

ताप्ती नदी भी तपाने लगी

मध्यप्रदेश की बड़ी नदियों में शुमार ताप्ती का नाम सम्मान से लिया जाता है. अब इसका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है.जल स्तर में कमी, प्रदूषण, और बांधों के निर्माण से नदी की स्थिति खराब हो रही हैय इसकी भी सहायक नदियां करीब-करीब सूख चुकी हैं. इसकी सफाई पर सरकार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. 

बेतवा पर मंडराता संकट

रायसेन जिले से निकलने वाली पवित्र बेतवा नदी भी संकटग्रस्त है. इसमें 18 नालों का गंदा पानी मिलाए जाने से यह नदी अब नाले में तब्दील होती जा रही है. कभी विशाल आकार में बहने वाली बेतवा, आज सिकुड़ कर एक धारा मात्र रह गई है.  18 महीने पूर्व इसका उद्गम स्थल पूरी तरह सूख गया था.जब यह मामला सामने आया, तो प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए अतिक्रमण हटाया और पाइपलाइन की सफाई कर जलधारा बहाल की. रायसेन जिला पंचायत की सीईओ अंजू भदोरिया के अनुसार, "प्रशासन का प्रयास है कि जलधारा कभी न सूखे और जल स्रोतों की निरंतरता बनी रहे. जाहिर है विकास करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसकी अंधी दौड़ में नदियों के विनाश को बुलावा देना कहां तक सही है. अगर हमने अभी अपने नदियों को सरंक्षित नहीं किया तो हालात हमारे बूते से भी बाहर हो जाएगी. 
ये भी पढ़ें: गजब इश्क! 23 सौ किमी का सफर...प्लेन बदला, मालगाड़ी पकड़ी...2 बच्चों संग प्रेमी के पास पहुंची वो

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close