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मानवता बेमिसाल! NDTV के प्रयास से मदद के लिए बढ़े हाथ, मासूम के लिए शुरु हुई थी पहल, अब इनको मिलेगा इलाज

Humanity: बाजार में चना जोर गरम बेच रही पिंकी नामक महिला की भी अपनी एक दर्द भरी कहानी है. पति किडनी से बीमार थे, तीन बच्चियों की पढ़ाई साथ ही पिंकी पर भरण पोषण और पति के इलाज के साथ घर का खर्चा था. इस कहानी को हमने जिम्मेदारी के साथ समाज और अपने दर्शकों तक पहुंचाया.

मानवता बेमिसाल! NDTV के प्रयास से मदद के लिए बढ़े हाथ, मासूम के लिए शुरु हुई थी पहल, अब इनको मिलेगा इलाज
Humanity: मानवता की मिसाल

Sivpuri News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी (Shivpuri) में जब मासूम कृष्णा माता-पिता उसके इलाज के लिए परेशान थे, तब एनडीटीवी (NDTV) सामने आया. हमने इलाज के लिए परेशान कृष्णा के माता-पिता की कहानी दर्शकों से साझा की. उसके बाद कृष्णा की मदद शुरू हुई. लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था. मासूम कृष्णा अपनी जिंदगी की जंग हार गया, हालांकि इंसानी तकलीफों को साझा करते हुए एनडीटीवी जब अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ रहा था तो एक और कहानी उसके सामने आई. वह थी रिंकी राठौर की, जिनके पति किडनी की बीमारी से परेशान थे, इलाज में काफी पैसा खर्च हो गया था. तीन बच्चियों की जिम्मेदारी पिंकी पर थी. उसके बाद चना जोर गरम बेचकर परिवार चलाती रिंकी की दर्द भरी कहानी को एनडीटीवी ने अपने दर्शकों तक पहुंचाया तो उसका ऐसा परिणाम आएगा यह खुद हमने भी नहीं सोचा था. बेमिसाल इंसानियत को बयां करती एनडीटीवी की यह खास रिपोर्ट देखिए.

पहले कहानी मासूम कृष्णा की

सबसे पहले हम आपको कृष्णा की उस कहानी से एक बार फिर जोड़ने की कोशिश करते हैं जो अबसे कुछ महीने पहले सामने आई थी. दरअसल मासूम कृष्णा की उम्र लगभग 5 साल थी और उसे SMA (Semi Muscular Atrophy) नाम की गंभीर और बहुत ही रेयर बीमारी थी. उसे 16 करोड रुपए की जरूरत थी, इससे एक इंजेक्शन विदेश से आना था, उसके लिए मां-बाप की हैसियत नहीं थी. ऐसे में एनडीटीवी आगे आया, रकम जमा होना शुरू हुई, लेकिन मासूम कृष्णा हमारे बीच ज्यादा दिन नहीं रह सका.

अब जानिए पिंकी के जीवन की समस्या

बाजार में चना जोर गरम बेच रही पिंकी नामक महिला की भी अपनी एक दर्द भरी कहानी है. पति किडनी से बीमार थे, तीन बच्चियों की पढ़ाई साथ ही पिंकी पर भरण पोषण और पति के इलाज के साथ घर का खर्चा था. इस कहानी को हमने जिम्मेदारी के साथ समाज और अपने दर्शकों तक पहुंचाया.

एनडीटीवी के माध्यम से रिंकी राठौर के जज्बे और उनकी जिंदगी के साथ हर रोज होते उनके संघर्ष की इस कहानी को दर्शकों ने खूब समर्थन व सहयोग दिया. कई लोग आगे भी आए, लेकिन इन्हीं दर्शकों के बीच एक दंपति भी सामने आए जो महरूम कृष्णा के मां-बाप हैं. उन्होंने कहा कि एनडीटीवी हमारी मदद के लिए आगे आया था. हम अपने बेटे को तो नहीं बचा पाए, लेकिन जब रिंकी की दर्द भरी कहानी एनडीटीवी पर हमने देखी तो खुद को रोक नहीं पाए. कृष्णा के नाम पर जो रकम खाते में जमा हो रही थी उसमें से 5 लाख रिंकी के परिवार को उसकी बच्चियों को देकर इस दंपति ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इंसानियत वाकई बेमिसाल है.

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