Crime News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छत्तरपुर (Chhatarpur) जिले के ईशानगर के रहने वाले एक 17 वर्षीय नाबालिक लड़के (Minor Boy) को गांव के ही रमेश रैकवार और रामपुर गांव के धनीराम कुशवाहा बहला फुसलाकर पहले छतरपुर ले गए. उसके बाद उसे रमेश रैकवार ने अपने लड़के मगन रैकवार को साथ लेकर हरपालपुर लाली किन्नर (Lali Kinnar) के यहां छोड़कर आ गए. 20 दिन से लापता नाबालिक की खोजबीन परिजन अपने स्तर से कर रहे थे. इसी दौरान परिजनों को फोन लगाकर नाबालिक ने खुद के हरपालपुर (Harpalpur) होने की बात बताई. इसके बाद परिजनों ने जाकर नाबालिक को किन्नरों के कब्जे से मुक्त कराया. पुलिस ने पूरे मामले में आईपीसी की धारा (IPC Act) 363 के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी.
बड़े मानव तस्करी गिरोह का हो सकता है खुलासा
17 साल के पीड़ित नाबालिक लड़के ने बताया कि उसकी तरह ही चार-पांच अन्य बच्चे किन्नर के पास थे, जिनको वह दवाइयां और इंजेक्शन लगाया करती थी. इससे उसके शरीर में अनावश्यक बदलाव भी आने लगे थे. अब बड़ा सवाल है कि पुलिस ने आखिर एफआईआर में किन्नर को आरोपी क्यों नहीं बनाया और किन्नर से पूछताछ क्यों नहीं की, जबकि नाबालिक किन्नर के यहां ही मिला. इस पूरे मामले में बड़े मानव तस्कर गिरोह का हाथ हो सकता है. नाबालिक बच्चों की तस्करी करके भीख मंगवाने एवं उन्हें किन्नर बनकर ट्रेनों में भीख मंगवाने का भी यह पूरा मामला हो सकता है. हालांकि, पुलिस ने इस पूरे मामले में मामूली धाराओं में केस दर्ज किया है.
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इस वजह से है किन्नरों का अड्डा
हरपालपुर में रेलवे स्टेशन होने के कारण यहां पर किन्नरों का एक झुंड हमेशा बना रहता है. यह किन्नर ट्रेन में सवार होकर यात्रियों से वसूली करते हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले में और भी कई किरदार हो सकते हैं. हालांकि, पुलिस ने अभी कोई खास कार्रवाई नहीं की हैं, जबकि पीड़ित के चाचा मानसिंह का आरोप है कि इस पूरे मामले में पुलिस सही से काम नहीं कर रही हैं और न ही आरोपियों से पूछताछ कर रही हैं. संबंधित आरोपियों के द्वारा पूर्व में भी अन्य नाबालिक बच्चों को बेचने और तस्करी के कई मामले सामने आ सकते हैं.
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