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Bhopal Gas Tragedy: पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े इस मामले में हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार को दिए ये निर्देश

MP High Court: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. हाईकोर्ट ने मामले में सख्ती दिखाई है और सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं. आइए आपको कोर्ट की सुनवाई के बारे में बताते हैं. 

Bhopal Gas Tragedy: पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े इस मामले में हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार को दिए ये निर्देश
Jabalpur High Court: भोपाल कोर्ट ने सुनाया फैसला

MP High Court on Bhopal Gas Kaand: मध्य प्रदेश के भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की दशकों पुरानी मेडिकल रिपोर्टों के डीजिटाइजेशन (Medical Report Digitization Case) में हो रही देरी पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाए हैं. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विशाल जैन की युगलपीठ ने टिप्पणी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) के निदेशक को निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के भीतर संयुक्त बैठक कर डिजिटाइजेशन के लिए अंतिम कार्ययोजना तैयार करें. बता दें कि मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.

डीजिटाइजेशन में देरी का ये है कारण

सरकार द्वारा पेश शपथ पत्र में बताया गया कि 2014 से पहले के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत जर्जर हैं. सावधानी के साथ प्रतिदिन केवल 3000 पृष्ठ स्कैन किए जा सकते हैं, जिसके कारण इस प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 550 दिन लगेंगे. साथ ही, नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा ई-हॉस्पिटल परियोजना के तहत क्लाउड सर्वर के लिए प्रस्ताव दिया गया है. यह प्रस्ताव अभी वित्त विभाग के अनुमोदन के लिए लंबित है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में बजट आवंटन के बाद कार्य को एक वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य है.

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हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

एमपी हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सरकार और संबंधित अधिकारियों पर गंभीरता न दिखाने का आरोप लगाते हुए निर्देश दिया है कि कार्ययोजना बनाकर दिन-प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए. अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में देरी गैस त्रासदी पीड़ितों के हितों के खिलाफ है.

क्या है पूरा मामला

2012 में सुप्रीम कोर्ट ने गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के लिए 20 निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी गठित की गई थी, जिसे हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी थी. इसके बाद, 2015 में मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं को लागू न करने के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई थी.

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आगे की क्या होगी प्रक्रिया

हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द वित्तीय और तकनीकी बाधाओं को दूर कर डिजिटाइजेशन प्रक्रिया शुरू की जाए. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के स्वास्थ्य और उपचार संबंधी रिकॉर्ड सुरक्षित और सुलभ रहें. भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की पीड़ा को समझते हुए, हाईकोर्ट का यह आदेश डिजिटाइजेशन प्रक्रिया में तेजी लाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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