Pollution in Jashpur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर जिले में प्रदूषण पर कोई रोक नहीं है... शहर के हृदय में बने शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले रानीसती तालाब (Rani Sati Pond) में फैली गंगदी से ग्रहण लगा हुआ है. सफाई और गहरीकरण का काम नहीं होने के कारण तालाब के दो किनारे में एक तिहाई से अधिक हिस्से में अब पानी नाम मात्र का ही बचा हुआ है. यह हिस्से घास के मैदान जैसे नजर आ रहे हैं. तालाब में फैली गंदगी की साफाई होने से लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है.
राजपरिवार ने किया था स्थापित
देउलबंद और रानीसती तालाब रियासतकाल में राजपरिवार ने बनवाया था. शुरू से ही ये तालाब जशपुर वासियों के लिए जीवनदायिनी रही है. आज तक इस तालाब का पानी पूरी तरह कभी नहीं सूखा. लेकिन, देख-रेख की कमी में अब इस तालाब का अस्तिव खतरे में है. यहां घूमने आने वाले लोगों के रैपर्स और कचड़ा के कारण तलाब गंदा हो रहा है. शहरवासियों के द्वारा घर से निकलने वाली कचड़ा तालाब में फेंके जाने से इसकी दायरा घटती जा रही है.
प्रशासन की भी लापरवाही
शहर में आज भी बड़ी संख्या में लोग निस्तारी जल के उपयोग के लिए तालाब पर निर्भर हैं. सामान्य दिनों में देउलबंद और रानीसती तालाब में रोजाना सैकड़ों लोग स्नान करने और कपड़े धोने के लिए पहुंचते हैं. पक्कीडांड़ी के पास स्नान के लिए लोगों की लाइन लगी रहती है. इसके बावजूद, तालाब को सहेजने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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अमृत सरोवर 2.0 के तहत होगा कायाकल्प
जशपुर सीएमओ योगेश्वर उपाध्याय ने बताया कि शहर के दोनों तालाब निजी है. तालाब से जलकुंभियों को निकालने का काम किया गया है. तालाब मालिकों से सहमति प्राप्त कर अमृत सरोवर 2.0 के तहत प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. जल्द ही इसका जीर्णोद्धार काराया जायेगा.
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