केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार यानी 19 सितंबर को ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान बेंच ने याचिका दायर करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. बेंच ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि उन्होंने दवाब बनाने के लिए झूठे आरोप भी लगाए हैं. अब इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
नेता प्रतिपक्ष की ओर से कोर्ट में पेश किए गए आवेदन पर सुनवाई करते हुए एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने आवेदन को अस्वीकार करते हुए उन पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इस मामले में जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि आवेदक ने हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जिसमें याचिका की सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में कराने की गुहार लगाई. इससे साफ तौर पर ये प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए ही ये आवेदन प्रस्तुत किया और इसीलिए बेंच के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान और क्या कहा
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता चुनाव याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की इस बेंच से कराने के इच्छुक नहीं थे तो उन्हें यह आवेदन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करना चाहिए था.
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती देने संबंधी एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सिंधिया द्वारा अपने राज्यसभा निर्वाचन के नामांकन के लिए आवेदन करते समय उसके साथ जो ऐफिडेविट पेश किए हैं उसमें उन्होंने तथ्यों को छुपाते हुए भोपाल के थाना श्यामला हिल्स में अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर संबंधी जानकारी का उल्लेख नहीं किया.
इसके बाद याचिकाकर्ता डॉ. सिंह ने हाईकोर्ट में एक और आवेदन देकर मामले की सुनवाई किसी अन्य बेंच में कराने की अपील की थी, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई. जिसके बाद उन्होंने इसी डिमांड के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, लेकिन वहां भी जब खारिज कर दी गई. हालांकि डॉ. सिंह ने फिर हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आवेदन पेश किया था.